बांग्लादेश के नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस ने भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती की वजह आर्थिक अनिश्चिततता को बताया है। बांग्लादेश में गरीबों को कर्ज मुहैया कराने वाले ग्रामीण बैंक के संस्थापक मोहम्मद यूनुस ने कहा है कि मोदी सरकार को इस सुस्ती से निकलने के लिए निवेशकों को भरोसे में लेने की जरूरत है।

उन्होंने कहा कि जब-जब इस तरह की परिस्थितियां आती हैं तो लोग निवेश करने के लिए अनिच्छुक हो जाते हैं। ऐसे में निवेशकों को भरोसे में लिए जाने की जरूरत होती है। मुहम्मद यूनुस ने बिजनेस टुडे से बातचीत में कहा ‘मुझे नहीं पता भारत में क्या हो रहा है, लेकिन सैद्धांतिक रूप से जब लोगों में अनिश्चिता का माहौल होता है तो लोग निवेश करने के लिए अनिच्छुक हो जाते हैं। अगर समय रहते पॉलिसी में बदलाव किया जाए तो सुधार संभव है। जब लोग फैसले नहीं लेते तो वह निवेश भी नहीं करते।’

यह पूछे जाने पर कि मोदी सरकार दूसरे कार्यकाल में भी पूर्ण बहुमत के साथ सत्ता में आई है फिर भी आर्थिक सुस्ती क्यों है? इस सवाल के जवाब में वह कहते हैं ‘राजनीतिक निश्चितता और निवेशकों की अनिश्चितता के बीच सीधा संबंध नहीं होता। मेरा मानना है कि बिजनेस से जुड़ी शख्सियों को इस बारे में विचार करना चाहिए और उन्हें अपने ‘पत्ते’ खोलने चाहिए। वह निश्चित तौर पर हिचकिचा रहे हैं लेकिन उन्हें भरोसे में लिए जाने की जरूरत है। शायद वह बेहतर अवसर की प्रतीक्षा कर रहे हों। हो सकता है कि भारत में गरीब तबका आर्थिक मंदी से उतना प्रभावित न हो जितना टॉप पर बैठे लोग हों। गरीब लोग अपनी चीजों में व्यस्त रहते हैं और उन्हें इस पर (आर्थिक सुस्ती) कोई परवाह नहीं।’

वहीं रोजगार के मुद्दे पर उन्होंने कहा ‘मुझे लगता है कि ग्रोथ के लिए स्व:रोजगार को बढ़ावा देना चाहिए। स्व:रोजगार आज भी एक अच्छा विकल्प है। अगर आपको कोई नौकरी पर नहीं रखता तो आप खुदा का काम शुरू कर सकते हैं। जब आप कहते हैं कि मुझे नौकरी में कोई दिलचस्पी नहीं और मैं सिर्फ अपना काम करना चाहता हूं तो आप देखेंगे कि ग्रोथ होना शुरू हो रही है।’

बांग्लादेश में गरीबों को कर्ज मुहैया कराने वाले ग्रामीण बैंक के संस्थापक मोहम्मद यूनुस को बांग्लादेश सरकार ने बीते दिनों वित्तीय अनियमितता बरतने के आरोप डायरेक्टर पद से हटा दिया था। बता दें कि मोहम्मद यूनुस सा-धन की 20 वीं वार्षिक बैठक में दिल्ली पहुंचे थे। गौरतलब है कि भारतीय अर्थव्यवस्था मौजूदा समय में आर्थिक मंदी के दौर से गुजर रही है। ऑटोमोबाइल से लेकर रियल स्टेट सेक्टर बुरी तरह प्रभावित हैं। अब तक कई लोगों को नौकरी से निकाला जा चुका है। सरकार की तरफ से इस बाबत कई घोषणाएं भी की गई हैं। हालांकि सरकार का कहना है कि अर्थव्यवस्था फिर से धीरे-धीरे पटरी पर आ रही है।