सरकार की तरफ से हाल ही में साफ किया गया है कि अब सरकारी कर्मचारियों की तलाक शुदा बेटियां भी अपने माता-पिता की मृत्यु के बाद पारिवारिक पेंशन पाने की हकदार होंगी। यह नियम उन परिस्थितियों पर भी लागू होगा जब तलाक माता-पिता के जीवनकाल में हुआ हो या उनके जीवनकाल में ही किसी सक्षम न्यायालय में तलाक की कार्यवाही दायर की गई हो।

क्यों था जरूरी नया नियम?

अक्सर पारिवारिक पेंशन को लेकर संशय बना रहता था कि क्या तलाकशुदा बेटी को पेंशन मिलेगी? अगर मिलेगी तो किन शर्तों पर?

यह सवाल जब संसद में उठाया गया, तो सरकार ने स्पष्ट किया कि इस संबंध में स्पष्ट प्रावधान केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियम, 2021 और उसके बाद 26 अक्टूबर 2022 के कार्यालय ज्ञापन में पहले ही शामिल किए जा चुके हैं।

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इन परिस्थिति में मिलेगी पेंशन

सरकार द्वारा जारी नियमों के मुताबिक, अगर किसी सरकारी कर्मचारी या पेंशनभोगी की मृत्यु हो जाती है और उसका कोई जीवित पति/पत्नी, पुत्र या पात्र पुत्री नहीं है, या वे पात्रता की शर्तें पूरी नहीं करते हैं और कोई विकलांग बच्चा भी पेंशन के लिए पात्र नहीं है तो ऐसी स्थिति में अविवाहित, विधवा या तलाकशुदा पुत्री 25 वर्ष की आयु के बाद भी आजीवन पारिवारिक पेंशन प्राप्त कर सकती है।

हालांकि, इसके साथ कुछ शर्ते भी जुड़ी हुई है –

– पुत्री अपने माता-पिता पर आश्रित रही होगी।
– यदि बेटी विधवा है, तो पति की मृत्यु माता-पिता के जीवनकाल में ही हो गई होगी।
– यदि बेटी तलाकशुदा है, तो तलाक माता-पिता के जीवनकाल में ही हुआ होगा या कम से कम अदालत में तलाक की कार्यवाही उनके जीवनकाल में ही दायर की गई होगी।
– यह पेंशन तब तक ही उपलब्ध होगी। जब तक वह दोबारा शादी नहीं कर लेती।

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इन कर्मचारियों पर भी होगा लागू

यह नियम केंद्रीय सिविल सर्विस कर्मचारियों के अलावा रेलवे और रक्षा सेवाओं के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों पर भी समान रूप से लागू होगा।

क्यों जरूरी है तलाकशुदा बेटियों के लिए यह फैसला?

अक्सर भारतीय समाज में तलाकशुदा महिलाओं की स्थिति असुरक्षित होती है, खास तौर पर जब उनके पास फाइनेंशिल संशाधन न हों।
ऐसे में सरकारी कर्मचारियों के परिवारों की बेटियों को यह अधिकार मिलने से उनकी आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित होगी। यह नियम महिलाओं की सामाजिक सुरक्षा की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।