केंद्रीय आवास एवं गरीबी उन्मूलन मंत्री एम वेंकैया नायडू ने सोमवार (27 जून) को कहा कि सरकार की शीर्ष प्राथमिकता गरीबी उन्मूलन है। उन्होंने वाणिज्यिक बैंकों से सूक्ष्म उपक्रमों की स्थापना के लिए शहरी गरीबों को रिण बढ़ाने पर जोर दिया। ‘दीनदयाल अंत्योदय योजना-राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन का उद्घाटन करते हुए नायडू ने स्वयं सहायता समूहों तथा मिशन के तहत स्वरोजगार के लिए रिण का प्रवाह बढ़ाने की जरूरत पर जोर दिया।

उन्होंने कहा कि स्वयं सहायता समूहों में रिण चुकता करने की दर 98 प्रतिशत है और ऐसे में ज्यादातर को कर्ज दिया जा सकता है और वे रिण पाने के पात्र हैं। उन्होंने उत्तरी तथा पूर्वी क्षेत्र में ऐसे समूहों को अपर्याप्त रिण की सुविधा पर चिंता जताई। पिछले दो साल के दौरान ऐसे समूहों को रिण में दक्षिण क्षेत्र का हिस्सा 62 प्रतिशत है। मंत्री ने कहा कि घरेलू एवं प्रत्यक्ष विदेशी निवेश बढ़ाने के लिए कई पहल की गई हैं। इससे रोजगार सृजन की काफी संभावनाएं हैं, जिससे कुशल श्रमबल की मांग भी बढ़ेगी।

नायडू ने कहा कि सरकार अकुशल को कुशल बनाकर, वित्तपोषण से वंचितों को कर्ज उपलब्ध कराकर, ऐसे लोग जो अभी पहुंच में नहीं है, के पास पहुंचकर गरीबी उन्मूलन को प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि देश की 25 प्रतिशत आबादी अभी भी गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन कर रही है। भारत विभिन्न देशों में प्रमुख भूमिका निभाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है ऐसे में यह अस्वीकार्य है। उन्होंने कहा कि गरीबी को समाप्त करने के लिए समन्वित प्रयासों की जरूरत है। प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है। बैंकों को वित्तपोषण बढ़ाना चाहिए, वहीं रिणों की वापसी भी होनी चाहिए।

इसी कार्यक्रम में कौशल विकास एवं उद्यमशीलता मंत्री राजीव प्रताप रूड़ी ने कहा कि 30 करोड़ लोगों को कुशल बनाने के लि एकीकृत पारिस्थितिकी तंत्र बनाया गया है। उन्होंने इस बात पर क्षोभ जताया कि देश में कौशल को सही पहचान नहीं मिल पाई है यही वजह है कि आज देश में ‘कारपेंटरी’ और ‘प्लम्बिंग’ का कोई प्रोफेसर नहीं है। उन्होंने बैंकों से कहा कि वे मान्यता प्राप्त एजेंसियों के जरिए कौशल प्रमाणपत्र को रिण देने के लिए स्वीकार करें। वित्त राज्यमंत्री जयंत सिन्हा ने कौशल प्रमाणन के तहत लाभार्थियों के बीच वित्तीय साक्षरता के प्रसार पर जोर दिया, जिससे वे पैसे का बेहतर तरीके से प्रबंधन कर सकें।