सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों के संगठन नास्कॉम ने नए अमेरिकी आव्रजन विधेयक के संभावित नुकसानदेह असर से जुड़ी आशंका को खारिज किया जिसके तहत भारतीय कंपनियों को सीमित एच1बी वीजा जारी करने का प्रस्ताव किया गया है।
नास्कॉम के अध्यक्ष सी पी गुरनानी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘ऐसा वीजा प्रौद्योगिकी के इस दौर में अब उतना महत्वपूर्ण नहीं है।’ उन्होंने कहा कि प्रौद्योगिकी के इस दौर में कंपनियां कंपनियां उत्पाद और सेवा आपूर्ति के लिए उपकरणों को उपयोग करेंगी।
नास्कॉम उत्पाद सम्मेलन के मौके पर उन्होंने कहा, ‘कंपनियां और अमेरिकी सीनेट एक दूसरे के खिलाफ हो सकती हैं। अमेरिकी कंपनियां को पता है कि उनका 70 प्रतिशत काम बाहर से हो रहा है।’ गुरनानी ने कहा कि इसके अलावा वीजा की लागत बढ़ रही है। उन्होंने कहा कि नास्कॉम अमेरिकी सरकार से अपील करेगी हालांकि कंपनियां पहले की तरह काम करेंगी।
उन्होंने कहा, ‘प्रौद्योगिकी खरीदना हमारे हित में है।’ नास्कॉम के मुताबिक भारत की सूचना प्रौद्योगिकी आय में अमेरिका का हिस्सा 65 प्रतिशत है। नास्कॉम ने मैकिंजी के साथ मिलकर अनुमान जताया है कि 2025 तक सूचना प्रौद्योगिकी की आय 250 अरब डॉलर को छू जाएगा।