नरेंद्र मोदी सरकार ने लोकसभा और विधानसभा चुनावों से पहले देश भर के छोटे करदाताओं को बड़ी राहत दी है। वित्त मंत्रालय ने ट्रिब्यूनल और कोर्ट में अपील करने के लिए निर्धारित मौजूदा राशि की सीमा को बढ़ा दिया है। इस फैसले के बाद केंद्र को इनकम टैक्स ट्रिब्यूनल और विभिन्न अदालतों में लंबित तकरीबन 41 फीसद मामलों को वापस लेने होंगे। मौजूदा वित्त मंत्री पीयूष गोयल ने बताया कि बदले प्रावधानों के तहत अब 20 लाख रुपये या उससे ज्यादा की कर वसूली के मामलों में ही ट्रिब्यूनल या कोर्ट में अपील की जा सकेगी। मौजूदा सीमा फिलहाल 10 लाख रुपये है। बता दें कि इसके दायरे में कर विवादों में फंसे 5,600 करोड़ रुपये आएंगे। इसका मतलब यह हुआ कि सरकार साढ़े पांच हजार करोड़ रुपये से ज्यादा की कर वसूली के दावों से पीछे हट जाएगी। सरकार के इस फैसले से उन छोटे करदाताओं को लाभ मिलेगा जो मुकदमों का सामना कर रहे हैं। पीयूष गोयल ने बताया कि मार्च 2017 तक के आंकड़ों के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट, हाई कोर्ट और विभिन्न ट्रिब्यूनल में कर वसूली से जुड़े लंबित मामलों में कुल 7.6 लाख करोड़ रुपये फंसे हुए हैं।

सुप्रीम कोर्ट में दाखिल 54 फीसद मामलों को लेना होगा वापस: केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित मानकों के बाद सुप्रीम कोर्ट में कर वसूली से जुड़े तकरीबन 54 फीसद मामलों को वापस लेना होगा। दरअसल, मौजूदा प्रावधानों के तहत 25 लाख रुपये या उससे ज्यादा की कर राशि की वसूली के लिए ही सुप्रीम कोर्ट में अपील दायर करने का प्रावधान है। अब इस सीमा को बढ़ा कर 1 करोड़ रुपये कर दिया गया है। ऐसे में दर्जनों मामलों को वापस लेना होगा। वहीं, हाई कोर्ट में अपील करने की मौजूदा मौद्रिक सीमा 20 लाख रुपये है, जिसे बढ़ाकर अब 50 लाख रुपये कर दिया गया है। इस फैसले से देश के विभिन्न उच्च न्यायालयों में लंबित तकरीबन 48 फीसद मामलों को वापस लेना पड़ेगा। इनकम टैक्स अपिलिएट ट्रिब्यूनल में लंबित 34 प्रतिशत मामलों को वापस लेना होगा। वित्त मंत्री ने बताया कि नए मानक निर्धारित करने से केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड और केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड में मुकदमों की संख्या में क्रमश: 41 और 18 फीसद तक की कमी आएगी। इसके चलते कर वसूली से जुड़े कुल 29,580 मामले खत्म हो जाएंगे।