मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस लाइफ रिलायंस लाइफ साइंसेज की ओर से तैयार की जा रही है कोरोना वैक्सीन को ड्रग कंट्रोलर की तरफ से क्लीनिकल ट्रायल की हरी झंडी मिल गई है। यह दो डोज वाली वैक्सीन है। जानकारी के अनुसार यह क्लीनिकल ट्रायल के मंजूर की गई यह रिकॉम्बिनेंट प्रोटीन-बेस्ड वैक्सीन है।
एसईसी की बैठक में रिलायंस लाइफ के आवेदन की समीक्षा हुई और उसे मंजूरी दे दी गई। इकोनॉमिक टाइम्स की न्यूज के अनुसार रिलायंस ने अपनी प्रस्तावित वैक्सीन के फेज-1 ट्रायल के लिए ड्रग रेगुलेटर से संपर्क किया था। आपको बता दें कि रिलायंस लाइफ रिलायंस इंडस्ट्रीज की अधिकृत कंपनी है। जोकि कुछ दिनों से वैक्सीन को लेकर काम कर रही थी।
पहले फेज का होगा ट्रायल
जानकारी के अनुसार फेज 1 क्लीनिकल ट्रायल से मैक्सिमम टॉलरेटेड डोज निर्धारित करने के उद्देश्य से वैक्सीन की सुरक्षा, सहनशीलता, फार्माकोकाइनेटिक्स और दवाओं की क्रिया के मैकेनिज्म पर जानकारी प्राप्त करना है। जानकारों की मानें तो टॉलरेटेड डोज की ताकत की जांच के लिए आमतौर पर फेज-1 ट्रायल्स 58 दिनों का होता है। जिसके पूरा होने के बाद फेज 2 और फेज 3 के लिए ट्रायल के लिए आवेदन किया जाता है।
अब तक 6 वैक्सीन कसो इमरजेंसी यूज के लिए मिली है मंजूरी
वैसे तो देश में सबसे ज्यादा वैक्सीन का उपयोग सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया की कोविड शील्ड और भारत बायोटेक कोवैक्सीन का हो रहा है। वहीं भारत में इमरजेंसी यूज के लिए रूस की स्पूतनिक वी, मॉडर्ना, जॉनसन एंड जॉनसन और जायडस कैडिला की वैक्सीन को भी इमरजेंसी यूज के लिए परमीशन मिल गई है।
समीक्षा बैठक में राज्यों को दी गई सलाह
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव राजेश भूषण ने बुधवार को कोविड -19 वैक्सीनेशन की प्रगति की समीक्षा के लिए सभी राज्यों के साथ एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की थी। जिसमें राज्यों को सलाह दी गई थी कि वे दूसरी खुराक कवरेज बढ़ाने के साथ-साथ स्कूल शिक्षकों और कर्मचारियों के टीकाकरण पर ध्यान दें।
दो खुराक के बाद भी मास्क है जरूरी
आईसीएमआर के डीजी बलराम भार्गव ने गुरुवार को कहा कि हम जानते हैं कि ये वैक्सीन रोग संशोधित करने वाले टीके हैं, वे रोग को खत्म करने वाले नहीं। इसलिए, एक या दो खुराक के बाद भी मास्क का उपयोग जारी रखना महत्वपूर्ण है। हम जानते हैं कि टीके रोग की गंभीरता को कम करते हैं, वे अस्पताल में भर्ती होने की संभावना को कम करते हैं और मृत्यु को 98-99 फीसदी तक होने से रोकते हैं।