बड़े कारोबारियों को अपना बैंक शुरू करने की अनुमति दिये जाने का सुझाव रिजर्व बैंक नहीं बल्कि आंतरिक समिति का है। इस मामले में रिजर्व बैंक सार्वजनिक स्तर पर सुझाव और टिप्पणियां लेने के बाद ही कोई फैसला करेगा। रिजर्व बैंक के गवर्नर शक्तिकांत दास ने ये बात कही है।
दरअसल, रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन और पूर्व डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य ने औद्योगिक घरानों को बैंक खोलने की अनुमति दिये जाने के सुझावों की कड़ी आलोचना की है। उनका मानना है कि अगर ऐसा किया गया तो जमाकर्ताओं का धन जोखिम में पड़ जायेगा और कंपनियों को उनके समूह के भीतर से ही कर्ज उपलब्ध होने लगेगा।
क्या है सुझाव: रिजर्व बैंक की आंतरिक समिति ने बड़े कारोबारियों को बैंक लाइसेंस दिए जाने का सुझाव दिया है। 50 हजार कराड़ रुपये से अधिक संपत्ति वाली गैर- बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (NBFC )को भी बैंक में परिवर्तित करने पर विचार किये जाने को कहा है। समिति ने यह भी कहा है कि भुगतान बैंक को लघु वित्त बैंक में बदलने पर लगने वाला समय भी कम किया जाना चाहिये। समिति के पांच सदस्यों में जिनमें दो सदस्य रिजर्व बैंक के केन्द्रीय बोर्ड और तीन आरबीआई के अधिकारी शामिल थे, उन्होंने स्वतंत्र रूप से काम किया और विचार विमर्श के बाद अपने विचार और सुझाव दिये हैं।
आरबीआई गवर्नर ने क्या कहा: आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा, ‘‘मैं स्पष्ट करना चाहूंगा कि यह आsरबीआई के आंतरिक कार्य समूह की रिपोर्ट है। इसे रिजर्व बैंक का विचार अथवा फैसला नहीं माना जाना चाहिये। इस बात को स्पष्ट तौर पर समझ लिया जाना चाहिये। रिजर्व बैंक ने इन मुद्दों पर अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है।’’ (भाषा से इनपुट)