मुकेश अंबानी मौजूदा समय में किसी पर हाथ रख रहे हैं वो सोना साबित हो रहा है। पहले टेलीकॉम सेक्‍टर और अब रिटेल सेगमेंट। उनका पूरा ध्‍यान अब इस बात पर है कि देश के कंज्‍यूमर की नब्‍ज को पकड़कर रिटेल और ईकॉमर्स सेक्‍टर पर अपना एकाधिकार काबिज कर लिया जाए। ऐसे में अमरीकी इंवेकस्‍टमेंट बैंकर गोल्‍डमैन सैक्‍स की रिपोर्ट काफी चीजों को साफ कर दिया है कि आने वाला दशक मुकेश अंबानी और उनके रिटेल और ईकॉमर्स सेक्‍टर के नाम होने वाना है।

रिपोर्ट के अनुसार रिलायंस इंडस्ट्रीज के लिए रि‍टेल कारोबार जबरदस्‍त ग्रोथ्‍ज्ञ इंजन साबित होने वाला है। अगले एक दशक यानी 10 सालों में रिलायंस रिटेल का प्रॉफिट 10 बुना तक बढ़ सकता है। रिपोर्ट के अनुसार 2016 से 2020 तक रिलायंस के इस सेगमेंट का प्रॉफिट 5 गुना तक बढ़ा है, लेकिन पिछले से जो कोरोना ने दस्‍तक दी है उसकी वजह से इसमें ठहराव भी देखने को मिला है।

कोरोना काल में इस पक्ष को किया मतजबूत : कोरोना काल में रिलायंस ने अपने रिटेल बिजनेस को बढ़ाने के लिए डिजिटल क्षमताओं को मजबूत करने के साथ फिजिकल रीच को भी बढ़ाने पर काम किया। रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2030 तक भारत में ग्रॉसरी ऑर्गेनाइज्ड रीटेल में 6 गुना का इजाफा होने के आसार हैं। जिसमें रिलायंस रिटेल की हिस्‍सेदारी 15 फीसदी की रह सकती है। वहीं आने वाले 4 सालों में रिलायंस इंडस्‍ट्रीज का कोर रिटेल रेवेन्‍यू 16 फीसदी सीएजीआर की दर से बढ़ने की संभावना है, जोकि 44 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है। कुल रीटेल रेवेन्यू में ईकॉमर्स की भागेदारी 35 फीसदी यानी 5 अरब डॉलर तक पहुंच सकती है।

ऑनलाइन ग्रॉसरी में 50 फीसदी तक की हिस्‍सेदारी : गोल्‍डमैन की रिपोर्ट के अनुसार वित्त वर्ष 2025 तक ऑनलाइन ग्रॉसरी में रिलायंस की हिस्सेदारी 50 फीसदी रह सकती है। ओवरऑल ईकॉमर्स मार्केट में कंपनी का 30 फीसदी हिस्‍से पर कब्‍जा होगा। यह वित्त वर्ष 2025 तक आरआईएल के लिए 35 अरब डॉलर के ईकॉमर्स ग्रॉस मरचेंडाइज वैल्‍यू के बराबर है। जिसमें 19 अरब डॉलर हिस्सा ग्रॉसरी का हो सकता है। यानी 2030 तक रि‍टेल एबिटा मौजूदा स्तर से 10 गुना ज्यादा होने की उम्‍मीद की जा रही है।