अकसर हम धार्मिक गुरुओं की सभाओं में श्रद्धालुओं की भीड़ देखते हैं, लेकिन ऐसे भी कई धर्मगुरु हैं, जिनके अनुयायी भीड़ का हिस्सा नहीं हैं बल्कि देश की नामी हस्तियां हैं। ऐसे ही आध्यात्मिक गुरु और कथावाचक मोरारी बापू हैं, जिन्हें देश के दिग्गज कारोबारी घराने रिलायंस का करीबी माना जाता है। कहा जाता है कि एक दौर में जब दोनों भाईयों के बीच कारोबार के बंटवारे को लेकर संघर्ष चल रहा था तो उन्होंने ही मध्यस्थता कराने का काम किया था। मुकेश अंबानी की मां कोकिलाबेन अंबानी ने तब मोरारी बापू को ही मध्यस्थता के लिए बुलाया था। गुजरात के रहने वाले मोरारी बापू को देश भर में कथावाचक के तौर पर नाम है।

मोरारी बापू के अलावा कथावाचक और आध्यात्मिक गुरु रमेश भाई ओझा भी अंबानी फैमिली के करीबी माने जाते हैं। अंबानी बंधुओं के पिता धीरूभाई अंबानी के दौर से ही वह परिवार के नजदीक रहे हैं। गुजरात के पोरबंदर में संदीपनी विद्यानिकेतन और आश्रम का संचालन करने वाले रमेश भाई ओझा का मुकेश अंबानी और नीता की सादी में भी योगदान माना जाता है। बिजनेस स्टैंडर्ड की एक रिपोर्ट के मुताबिक रमेश भाई ओझा भी उन लोगों में से एक थे, जिन्होंने अंबानी फैमिली में कारोबार को लेकर हुई रार को सुलझाने में मदद की थी। यही नहीं 2011 में धीरूभाई अंबानी मेमोरियल के उद्घाटन के मौके पर आयोजित कार्यक्रम की अध्यक्षता भी रमेश भाई ओझा ने ही की थी।

रमेश भाई ओझा के प्रभाव का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पीएम नरेंद्र मोदी के साथ भी उनकी निकटता रही है। स्वच्छ भारत मिशन की लॉन्चिंग के दौरान पीएम मोदी ने रमेश भाई ओझा के योगदान की प्रशंसा की थी। इसके बाद गुजरात की तत्कालीन आनंदीबेन पटेल सरकार ने उन्हें स्वच्छ भारत मिशन का ब्रैंड अंबैसडर भी बनाया था। मुकेश अंबानी और अनिल अंबानी दोनों ही धार्मिक कार्यक्रमों में अकसर रुचि लेते रहे हैं। खासतौर पर अनिल अंबानी इन दिनों काफी आध्यात्मिक हो गए हैं। पीएम नरेंद्र मोदी के क्लीन इंडिया मिशन के तहत अनिल अंबानी ने केदारनाथ और बदरीनाथ धाम की सफाई में अहम योगदान दिया था।