केंद्र सरकार के पेट्रोलियम मंत्रालय ने देश की सबसे बड़ी तेल एवं गैस उत्पादक कंपनी ओएनजीसी से अपनी हिस्सेदारी बेचने को कहा है। पेट्रोलियम मंत्रालय द्वारा नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में ओएनजीसी को अपने तेल एवं गैस क्षेत्रों के निजीकरण के लिए तीसरी बार कहा गया है।
क्या कहा मंत्रालय नेः पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय में अतिरिक्त सचिव अमर नाथ ने ऑयल एंड नैचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) के चेयरमैन एवं प्रबंध निदेशक सुभाष कुमार को एक अप्रैल को पत्र लिखकर सात-सूत्रीय कार्रवाई योजना का क्रियान्वयन करने को कहा है। पत्र में कहा गया है कि इससे ओएनजीसी 2023-24 तक अपने तेल एवं गैस उत्पादन में एक-तिहाई की बढ़ोतरी कर सकेगी। मंत्रालय ने कंपनी से केजी बेसिन गैस क्षेत्र में विदेशी भागीदार को साथ लाने, मौजूदा ढांचे के मौद्रिकरण और ड्रिलिंग और अन्य सेवाओं को अलग इकाई के तहत लाने को कहा है।
तीसरी बार कहा गया: पेट्रोलियम मंत्रालय ने तीसरी बार नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यकाल में ओएनजीसी को निजीकरण के लिए है। इससे पहले अक्टूबर, 2017 में मंत्रालय की तकनीकी इकाई हाइड्रोकॉर्बन महानिदेशालय ने 79.12 करोड़ टन कच्चे तेल और 333.46 अरब घनमीटर गैस के सामूहिक भंडार के 15 उत्पादक क्षेत्रों की पहचान की थी, जिन्हें निजी क्षेत्र को सौंपने की सलाह दी थी।
महानिदेशालय का मानना था कि इससे इन क्षेत्रों के अनुमान और खोज में सुधार हो सकेगा। एक साल बाद ओएनजीसी के 149 ऐसे छोटे और सीमान्त क्षेत्रों की पहचान की गई, जिन्हें निजी- विदेशी कंपनियों को सौंपा जाए और कंपनी बड़े क्षेत्रों पर ध्यान केंद्रित कर सकेगी (ये पढ़ें- रिलायंस की राह पर चल पड़ी ONGC, इस काम के लिए बना रही अलग कंपनी)
ओएनजीसी के विरोध के कारण पहली योजना को अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका। दूसरी योजना को केंद्रीय मंत्रिमंडल के पास भेजा गया। मंत्रिमंडल ने 19 फरवरी, 2019 को ओएनजीसी के 64 सीमान्त क्षेत्रों के लिए बोलियां मंगवाने का फैसला किया। लेकिन इस टेंडर को काफी ठंडी प्रतिक्रिया मिली और ओएनजीसी को इस शर्त के साथ 49 क्षेत्र अपने पास रखने की अनुमति दी गई कि वह कड़ाई से इनके प्रदर्शन की निगरानी करेगी।
बता दें कि ओएनजीसी की देश के तेल एवं गैस उत्पादन में हिस्सेदारी बढ़कर 70 प्रतिशत पर पहुंच गई है। एक दशक पहले यह हिस्सेदारी 53 प्रतिशत थी। 2019-20 में ओएनजीसी का उत्पादन 4.45 करोड़ टन रहा था, जो देश के कुल 6.33 करोड़ टन के उत्पादन का 70.3 प्रतिशत बैठता है। इनपुटः भाषा (ये पढ़ें-ONGC से रिलायंस तक, निवेशकों को हुआ बड़ा नुकसान, इन कंपनियों को फायदा)