सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 7 सितंबर, बुधवार को घोषणा की कि उसने भारतीय रेलवे की भूमि के लंबे समय तक लीज पर नीति को मंजूरी दे दी है और भूमि लाइसेंस शुल्क को 6 प्रतिशत से घटाकर 1.5 प्रतिशत कर दिया है। लीज अवधि भी पांच साल से बढ़ाकर 35 साल कर दी गई है।

कैबिनेट के इस फैसले से कंटेनर कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (CONCOR) में केंद्र की हिस्सेदारी की बिक्री में तेजी आएगी, क्‍योंकि इसके रणनीतिक विनिवेश प्रॉसेस असान हो जाएगी और निजी निवेशकों के लिए यह और आकर्षक हो जाएगा। यह विकास नीति आयोग की सिफारिशों के अनुरूप है, जिसमें कंटेनरों के लिए रेलवे भूमि लीजिंग शुल्क 3 प्रतिशत से कम रखा गया है।

इस फैसले से माना जा रहा है कि कॉनकोर के निजीकरण का रास्‍ता साफ हो जाएगा, क्योंकि इससे खरीदारों को लंबी अवधि के लिए रेलवे को भूमि किराए के रूप में बहुत कम राशि में मिल जाएगी। गौरतलब है कि यह कॉनकोर के निवेश सलाहकारों द्वारा सुझाव दिया गया था, जिसके बाद यह फैसला आया है।

नीति के लाभों को बताते हुए, सरकार ने कहा कि इस कदम से माल ढुलाई में रेलवे की हिस्सेदारी बढ़ाने और उद्योग की रसद लागत को कम करने में मदद मिलेगी। सरकार ने यह भी कहा कि संशोधित भूमि नीति से रेलवे को अधिक राजस्व मिलेगा और 1.2 लाख नौकरियां पैदा होंगी। इसके अलावा, इस बदलाव से कार्गो टर्मिनलों के लिए रेलवे भूमि का उपयोग करने वाली मौजूदा संस्थाओं के पास पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के बाद नई नीति व्यवस्था में स्विच करने का विकल्प होगा।

संशोधन से सरकार को अगले पांच वर्षों में पूरे भारत में 300 कार्गो टर्मिनल विकसित करने में मदद मिलेगी और पीएम गति शक्ति योजना को लाभ होगा। नई नीति के तहत बदलाव अगले 90 दिनों में लागू किए जाएंगे, उनसे माल ढुलाई में रेल की हिस्सेदारी बढ़ने और देश में कुल रसद लागत में कमी आने की उम्मीद है।