वर्ष 2015 में ‘उपभोक्ता सर्वोपरि’ का सिद्धांत तब लड़खड़ाता नजर आया, जब बिल्डर माफिया से घर खरीदारों की सुरक्षा पर केंद्रित विधेयक संसद में पारित नहीं हो पाया। इसके साथ ही इस साल लोकप्रिय नूडल मैगी दुकानों से लंबे समय के लिए बाहर हो गई और केंद्र ने इस पर शीर्ष उपभोक्ता फोरम के समक्ष 640 करोड़ रुपए के दावे की याचिका दायर की। केंद्र को 30 साल पुराने उपभोक्ता संरक्षण कानून के तहत पहली बार इंस्टंट नूडल मैगी पर प्रतिबंध से उत्पन्न विवाद और भ्रम का सामना करना पड़ा । राष्ट्रीय उपभोक्ता वाद निवारण आयोग (एनसीडीआरसी) ने मामला स्वीकार कर लिया। और जब नमूनों के परिणामों की प्रतीक्षा थी तब नेस्ले ने कार्यवाही पर आपत्ति जताते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया जिससे साल के अंतिम चरण में शीर्ष उपभोक्ता फोरम के समक्ष कार्यवाही पर रोक लगा दी।

नेस्ले को भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआइ) की ओर से कड़े विरोध का सामना करना पड़ा, जो मैगी को बिक्री की अनुमित देने के मुंबई उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ उच्चतम न्यायालय पहुंचा। ‘जागो ग्राहक जागो’ जैसे अभियान तब जोर पकड़ते प्रतीत हुए जब रीयल एस्टेट माफिया के धन और बाहुबल से सुरक्षा के कानून के लिए उपभोक्ताओं के प्रयास करीब-करीब हकीकत बनते दिखे। मगर संसद में अंतिम मिनट में बाधा के चलते रीयल एस्टेट (नियमन और विकास) संशोधन विधेयक 2015 पारित नहीं हो पाया।

सुपरटेक, डीएलएफ, यूनीटेक जैसे रीयल एस्टेट दिग्गजों और अन्य के खिलाफ शिकायतें न सिर्फ उपभोक्ता फोरम, बल्कि शीर्ष अदालत भी पहुंचीं जो उपभोक्ताओं के साथ खड़े नजर आए। शीर्ष उपभोक्ता इकाई ने इस बात का भी कड़ा संज्ञान लिया कि एयरलाइन कंपनियां यात्रियों के लिए ‘0 से लेकर 999 रुपए’ तक के कम हवाई किराए का विज्ञापन देकर ‘अनुचित व्यापार तरीका’ अपना रही हैं, जबकि असल में वे अधिक पैसा वसूलती हैं। एनसीडीआरसी ने एयरलाइन कंपनियों को ‘विज्ञापन जारी करने से परहेज करने का निर्देश दिया जो उक्त एयरलाइन की किसी भी सुविधा के लिए यात्री द्वारा दी जाने वाली न्यूनतम राशि तक का खुलासा नहीं करते।’

इसने नागर विमानन मंत्रालय और नागर विमानन महानिदेशक को भी निर्देश दिया कि वे सभी एयरलाइनों में फैसले का सख्त अनुपालन सुनिश्चित करने के लिए दिशा-निर्देश जारी करें। केंद्र सरकार स्वास्थ्य योजना (सीजीएचएस) भी शीर्ष उपभोक्ता इकाई की नजरों में आई। इसने केंद्र से प्रत्येक अस्पताल में कुछ अधिकारियों की मौजूदगी सुनिश्चित करने को कहा जो रोगियों के सवालों का समाधान करेंगे। इसने इस संबंध में टोल फ्री इंक्वायरी नंबर उपलब्ध कराने को भी कहा।

न्यू इंडिया अश्योरेंस कंपनी लिमिटेड को तब शीर्ष उपभोक्ता इकाई की नाराजगी का सामना करना पड़ा जब उसने हरियाणा सरकार की ‘देवी रक्षक’ योजना के तहत किए गए एक दावे को स्वीकार करने से इनकार कर दिया। यह योजना राज्य के आर्थिक रूप से कमजोर तबकों को एकमात्र कमाने वाले व्यक्ति की मौत या स्थाई रूप से अपंग होने पर एक लाख रुपए तक का मुआवजा देने से संबंधित है।

एक अन्य मामले में शीर्ष उपभोक्ता इकाई ने समापन तिथि के बाद भी एलपीजी सिलेंडर के वितरण पर भारतीय तेल निगम (आईओसी) को फटकार लगाई और कहा कि वह सिलेंडर विस्फोट के पीड़ित को दो लाख 25 हजार रुपए का मुआवजा प्रदान करे। एनसीडीआरसी ने फिल्म प्रेमियों को एक बड़ी राहत देते हुए देशभर के सभी सिनेमाघरों को निर्देश दिया कि वे सभी दर्शकों को नि:शुल्क पेयजल उपलब्ध कराएं क्योंकि हर कोई महंगी दरों पर पानी खरीदने में सक्षम नहीं है। मनुष्य की मूलभूत आवश्यकता होने के चलते सिनेमाघरों का यह दायित्व है कि वे नि:शुल्क पानी उपलब्ध कराएं।

शीर्ष उपभोक्ता फोरम ने सेवा में खामी पर कड़ा संज्ञान लेते हुए उस 25 वर्षीय युवक के पिता को करीब दो करोड़ रुपए का मुआवजा दिलाया जिसकी मुंबई में एक दशक पहले एक गगनचुंबी इमारत में खराब एलीवेटर में दम घुटने से मौत हो गई थी । इसी तरह के एक अन्य मामले में एनसीडीआरसी ने इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल और इसके स्त्री रोग विशेषज्ञों में से एक को निर्देश दिया कि वे उस दंपति को एक करोड़ रुपए का मुआवजा प्रदान करें जिनका बच्चा 15 साल से अधिक समय पहले प्रसव के समय डॉक्टर की लापरवाही से मानसिक अक्षमता से ग्रस्त हो गया था।

एक उपभोक्ता अदालत ने इसी तरह उत्तर प्रदेश के एक अस्पताल के खिलाफ भी कार्रवाई की जिसने एक महिला को गलत खून चढ़ा दिया था। इसके चलते महिला का चार बार गर्भपात हुआ। उपभोक्ता फोरम ने अस्पताल को निर्देश दिया कि वह 15 लाख रुपए का मुआवजा प्रदान करे। इसी तरह के एक अन्य फैसले में बहुराष्ट्रीय कंपनी वुडलैंड को निर्देश दिया गया कि वह अपने स्टोर में अपने ब्रांड के अलावा किसी अन्य ब्रांड के उत्पाद न बेचे।