सुप्रीम कोर्ट ने लोन रिपेमेंट मोराटोरियम की तारीख को 28 सितंबर तक के लिए बढ़ा दिया है। मामले की अगली सुनवाई शीर्ष अदालत की ओर से इसी दिन की जाएगी। कोर्ट ने बैंकों से कहा है कि इस दौरान किसी भी लोन की अदायगी न होने पर अकाउंट को एनपीए न घोषित किया जाए। दरअसल सुप्रीम कोर्ट ने मोराटोरियम को लेकर स्पष्ट तौर पर कुछ नहीं कहा है, लेकिन कर्ज की अदायगी न करने पर अकाउंट एनपीए घोषित करने पर रोक को इसी संदर्भ में देखा जा रहा है। मोराटोरियम के दौरान कर्ज न चुकाने पर किसी भी खाते को एनपीए घोषित नहीं किया जा सकता। इसके अलावा कर्जधारक के क्रेडिट स्कोर पर भी विपरीत प्रभाव नहीं पड़ेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने मोराटोरियम की अवधि के दौरान भी ब्याज की वसूली के मामले की सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया। सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की नई तारीख देते हुए कहा कि मामले को बार-बार टाला जा रहा है। अब इस मामले को सिर्फ एक बार टाला जा रहा है, वह भी फाइनल सुनवाई के लिए। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले पर कड़ी टिप्पणी करते हुए सरकार और आरबीआई से कहा कि अब अगली सुनवाई में वह ठोस योजना लेकर आए।
कोर्ट ने कहा कि तब तक 31 अगस्त तक NPA न हुए लोन डिफॉल्टरों को NPA घोषित न करने अंतरिम आदेश जारी रहेगा। सुप्रीम कोर्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए दो सप्ताह का समय दिया है। सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट से कहा, उच्चतम स्तर पर विचार हो रहा है। राहत के लिए बैंकों और अन्य हितधारकों के परामर्श में दो या तीन दौर की बैठक हो चुकी है और चिंताओं की जांच की जा रही है। केंद्र ने दो हफ्ते का समय मांगा था, इस पर कोर्ट ने पूछा था कि दो हफ्ते में क्या होने वाला है? आपको विभिन्न क्षेत्रों के लिए कुछ ठोस करना होगा।
गौरतलब है कि इससे पहले आरबीआई की ओर से मोराटोरियम की डेडलाइन 31 अगस्त, 2020 तक के लिए ही थी। इसके अलावा अदालत ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह मोराटोरियम की अवधि के दौरान ब्याज की वसूली न किए जाने और ग्राहक की क्रेडिट रेटिंग डाउनग्रेड न करने की मांग पर विचार करे।