सरकार ने आज स्वीकार किया कि विवादों में घिरे उद्योगपति विजय माल्या के स्वामित्व वाली किंगफिशर एयरलाइन पर 29 फरवरी 2016 तक भारतीय हवाईअड्डा प्राधिकरण (एएआई) का 294.57 करोड़ रुपये का बकाया है तथा यह मामला अदालत में विचाराधीन है।

 नागर विमानन मंत्री अशोक गजपति राजू ने पूरक सवालों के जवाब में राज्यसभा को यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किंगफिशर के विरूद्ध तीन मामले अदालत में विचाराधीन हैं।
इनमें बंबई उच्च न्यायालय में 294.57 करोड़ रुपये के बकाए की वसूली का मामला विचाराधीन है। इस बकाए में 121.88 करोड़ रुपये की ब्याज राशि शामिल है। उन्होंने बताया कि किंगफिशर एयरलाइन पर चेक बाउंस के दो अन्य मामले भी विभिन्न अदालतों में विचाराधीन हैं।

मंत्री ने बताया कि तेल कंपनी एचपीसीएल का 31 दिसंबर 2015 तक किंगफिशर एयरलाइन पर ब्याज सहित कुल बकाया 66.72 करोड़ रुपये था। उन्होंने कहा कि इन मामलों में कानून अपना काम कर रहा है तथा पिछली सरकार के समय की जो गलतियां हैं, उनको पीछे जाकर ठीक नहीं किया जा सकता।

उन्होंने बताया कि एएआई का गो एयरलाइन्स, इंडिगो, जेट समूह, स्पाइसजेट, एयर एशिया सहित कई अन्य विमानन कंपनियों पर भी बकाया है तथा प्राधिकरण इस बकाए की वसूली के लिए कार्रवाई कर रहा है। राजू ने एक अन्य पूरक सवाल के जवाब में बताया कि देश में करीब 475 हवाईअड्डे और हवाई पट्टियां हैं। इनमें से 125 का स्वामित्व एवं प्रबंधन एएआई करता है।

उन्होंने कहा कि शेष हवाई पट्टियों और हवाईअड्डों का स्वामित्व रक्षा क्षेत्र, राज्य सरकारों और निजी क्षेत्र के पास है। कई सदस्यों द्वारा उनके संबद्ध राज्यों में हवाईअड्डों और हवाई पट्टियों पर विमानन सेवा चालू कराने के सुझाव पर नागर विमानन मंत्री ने कहा कि इस बारे में वह संबंधित एयरलाइनों से बात कर उन्हें वहां उड़ानें परिचालित करने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।