बहुत से लोग गोल्ड में निवेश करते हैं, क्योंकि यह एक सुरक्षित निवेश के रूप में माना जाता है। फिजिकल गोल्ड के अलावा डिजिटल गोल्ड और पेपर गोल्ड की भी आजकल डिमांड है। ऐसे में अगर आप इसमें से किसी भी गोल्ड में निवेश की प्लानिंग कर रहे हैं तो आपको आयकर विभाग के बारे में जानकारी होनी चाहिए।
फिजिकल गोल्ड पर टैक्स
ज्वैलरी के रूप में फिजिकल गोल्ड को खरीदा जाता है। इसके अलावा कुछ लोग सोने के सिक्के भी खरीदे जाते हैं। सोने के सिक्के आमतौर पर 5 या 10 ग्राम के मूल्यवर्ग में खरीदे जाते हैं। सभी तरह के फिजिकल गोल्ड हॉलमार्क वाले होते हैं। ऐसे में सोना खरीदने पर आयकर नियम के अनुसार, फिजिकल सोना पर कैपिटल लाभ टैक्स लगता है।
क्लियर के फाउंडर एंड सीईओ अर्चित ने कहा कि पूंजीगत लाभ पर टैक्स बेनेफिट के आधार पर लगाया जाता है, चाहे लांग टाइम कैपिटल गेन हो या अल्पकालिक पूंजीगत लाभ हो। अगर आप बिक्री की तारीख से पहले 36 महीने से अधिक समय तक सोना रखते हैं, तो यह एक लॉन्ग टाइम लाभ के तहत आतना है। हालांकि इससे कम पर यह अल्पकालीन टैक्स बेनेफिट्स है। इस तरह के लाभ पर 20 फीसदी और 4 फीसदी का टैक्स लगाया जाता है।
डिजिटल गोल्ड पर टैक्स
डिजिटल गोल्ड फिजिकल गोल्ड में निवेश का एक माध्यम है। इसमें निवेश के बाद सोना बेचने पर टैक्स लगाया जाता है। यह सेबी या आरबीआई किसी के द्वारा संचालित नहीं किया जाता है। इसमें आप सीधे निवेश कर सकते हैं। इसपर टैक्स फिजिकल गोल्ड की तरह ही लगाया जाता है।
सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर टैक्स
भारत सरकार की ओर से जारी किया जाने वाला यह एक डिजिटल गोल्ड है, जिसे समय-समय पर सरकार की ओर से जारी किया जाता है। आरबीआई सरकार की ओर से सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड जारी करता है। SGB को नवंबर 2015 में पेश किया गया था। इसे सोना में निवेश का सुरक्षित विकल्प माना जाता है। निवेशक को छमाही आधार पर 2.5 फीसदी सालाना की दर से ब्याज मिलता है।
मैच्योरिटी पर या आठ साल के बाद किसी भी सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड पर लाभ पर टैक्स मुक्त रखा गया है। वहीं पांच साल के बाद एसजीबी की बिक्री पर कोई भी लाभ दीर्घकालिक पूंजीगत लाभ होगा और इंडेक्सेशन के बाद ऐसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन पर 20 फीसदी टैक्स लगता है।
पेपर गोल्ड पर टैक्स
अर्चित गुप्ता के अनुसार, अन्य पेपर गोल्ड निवेश जैसे म्यूचुअल फंड और एक्सचेंज ट्रेडेड फंड (ईटीएफ) की बिक्री पर फिजिकल गोल्ड के समान ही टैक्स लगाया जाता है।