फ्यूचर ग्रुप के किशोर बियानी ने कहा है कि यदि रिटेल कारोबार को रिलायंस ग्रुप के हाथों बेचने की डील फेल होती है तो कंपनी इस कारोबार को ही बंद कर देगी। रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक सिंगापुर स्थित आर्बिट्रेशन पैनल में अमेजॉन की ओर से दाखिल याचिका पर सुनवाई के दौरान फ्यूचर ग्रुप ने अपना पक्ष रखते हुए यह बात कही है। बता दें कि रविवार को ही आर्बिट्रेशन पैनल ने इस डील को फिलहाल रोकने का आदेश दिया है। अमेजॉन ने अपनी याचिका में आरोप लगाया है कि रिलायंस के साथ डील करके फ्यूचर ग्रुप ने उसके साथ तय हुई शर्तों का उल्लंघन किया है। अमेजॉन का कहना है कि फ्यूचर ग्रुप के साथ हुई उसकी डील में यह तय हुआ था कि उसके पास राइट टू फर्स्ट रिफ्यूज होगा।
कारोबार बंद किया तो जाएंगी 29 हजार नौकरियां: अब यदि डील फेल होने पर किशोर बियानी अपने रिटेल बिजनेस को बंद करने और संपत्तियों को बेचने का फैसला लेते हैं तो इससे 29,000 कर्मचारियों के भविष्य पर संकट आ जाएगा। फ्यूचर ग्रुप की ओर से मामले की सुनवाई के दौरान आर्बिट्रेशन को यह जानकारी दी गई है। फ्यूचर ग्रुप ने कहा कि कोरोना काल में भारत में तमाम कारोबार प्रभावित हुए हैं, खासतौर पर रिटेल सेक्टर पर बड़ा असर पड़ा है। ऐसे में सभी संबंधित पक्षों के हितों की रक्षा के लिए हमने रिलायंस के साथ डील करने का फैसला लिया था। हालांकि आर्बिट्रेशन पैनल ने कहा कि आर्थिक संकट इस बात का आधार नहीं हो सकता कि किसी डील को खत्म कर दिया जाए।
रिलायंस और फ्यूचर के शेयर लुढ़के: इस मुकदमे के चलते सोमवार को रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप के शेयरों में भी गिरावट का दौर देखने को मिला। आर्बिट्रेशन के फैसले को लेकर रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप ने कहा कि वह बिना किसी देरी के डील को पूरा करना चाहते हैं। आर्बिट्रेशन पैनल की ओर से दिए गए 130 पेज के आदेश में यह बताया गया है कि किस तरह से जेफ बेजोस की कंपनी ने इस डील का विरोध किया है।
जानें, जेफ बेजोस की कंपनी के आरोप: दरअसल फ्यूचर ग्रुप ने अगस्त महीने में अपने रिटेल कारोबार को 24,700 करोड़ रुपये में बेच दिया था। इसके तहत फ्यूचर ग्रुप ने बिग बाजार, फैशन ऐट बिग बाजार जैसे स्थापित ब्रांड भी रिलायंस के हवाले कर दिए हैं। अमेजॉन का कहना है कि 2019 में फ्यूचर ग्रुप के साथ हुई उसकी डील में यह तय हुआ था कि वह अपने बिजनेस को ऐसे किसी समूह को नहीं बेचेगा जो प्रतिबंधित सूची में शामिल हैं। इनमें मुकेश अंबानी की लीडरशिप वाले रिलाय़ंस ग्रुप का भी नाम था। उस डील में यह भी तय हुआ था कि किसी भी तरह के विवाद का निपटारा सिंगापुर स्थित इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर में होगा।

