रिलायंस और फ्यूचर ग्रुप की डील को रोकने का आदेश देने के साथ ही सिंगापुर स्थित इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन सेंटर ने अपने अंतरिम आदेश में एक और बात कही है। इकनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक आर्बिट्रेशन सेंटर ने फ्यूचर ग्रुप को एक और झटका देते हुए कहा है कि वह अमेजॉन की मंजूरी के बिना फ्यूचर रिटेल के शेयर्स को किसी को ट्रांसफर नहीं कर सकता। बता दें कि अमेजॉन ने बीते साल फ्यूचर रिटेल की प्रमोटिंग कंपनी फ्यूचर कूपन्स में 1,500 करोड़ रुपये के निवेश के साथ 49 पर्सेंट हिस्सेदारी खरीदी है। फ्यूचर कूपन्स की फ्यूचर रिटेल में 5 फीसदी की हिस्सेदारी है।
सिंगापुर आर्बिट्रेशन सेंटर की ओर से रिलायंस के साथ डील को होल्ड करने के आदेश के बाद यह फैसला फ्यूचर ग्रुप के लिए चिंताजनक है। बता दें कि फ्यूचर ग्रुप ने 24,713 करोड़ रुपये में रिलायंस ग्रुप के साथ अपने रिटेल बिजनेस को बेचने की डील की थी। इस पर अमेजॉन ने यह कहते हुए ऐतराज जताया था कि यह 2019 में उसकी ओर से फ्यूचर ग्रुप में किए गए निवेश की शर्तों के खिलाफ है। अमेजॉन का कहना है कि निवेश की शर्तों में यह बात भी शामिल थी कि फ्यूचर रिटेल की हिस्सेदारी बेचने के लिए फर्स्ट राइट टू रिफ्यूज का अधिकार उसके पास होगा।
ऐसे में जेफ बेजोस की लीडरशिप वाली कंपनी का कहना था कि इस तरह से डील करके फ्यूचर ग्रुप ने उसके साथ हुए करार का उल्लंघन किया है। इसी आरोप के साथ उसने सिंगापुर की आर्बिट्रेशन कोर्ट में अर्जी दी थी, जिसने डील को होल्ड करने का फैसला दिया है। बता दें कि सिंगापुर कोर्ट ने भले ही डील को रोकने का आदेश दिया है, लेकिन उसका यह फैसला भारत में सीधे तौर पर लागू नहीं होता है।
ऐसे में इस बात की संभावना है कि अमेजॉन की ओर से जल्दी ही भारत के किसी हाई कोर्ट या फिर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया जा सकता है और आर्बिट्रेशन के फैसले को लागू कराने की मांग की जा सकती है।