बीते साल के अगस्त महीने में किशोर बियानी के फ्यूचर ग्रुप ने मुकेश अंबानी की रिलायंस इंडस्ट्रीज को अपना कारोबार बेचने के लिए डील की थी। इस डील को पूरा होने में लगातार मुश्किलें आ रही हैं।

दरअसल, ई कॉमर्स कंपनी अमेजन की आपत्ति के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (एफआरएल) को रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) के साथ कंपनी के कारोबार को बेचने के 24,713 करोड़ रुपये के सौदे पर अंतरिम रोक लगाने के सिंगापुर की आपातकालीन मध्यस्थता (ईए) अदालत के फैसले को बरकरार रखा है।

किशोर बियानी ने दी प्रतिक्रिया: किशोर बियानी की अगुवाई वाला फ्यूचर रिटेल ने शुक्रवार कहा कि दिल्ली हाईकोर्ट की एकल पीठ के आदेश का राष्ट्रीय कंपनी विधि न्यायाधिकरण (एनसीएलटी) में रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ 24,713 करोड़ रुपये के सौदे को लेकर जारी सुनवाई पर कोई असर नहीं होगा। कंपनी ने यह भी कहा कि वह आदेश का उपयुक्त समाधान निकालने पर विचार कर रही है।

फ्यूचर रिटेल ने शेयर बाजार को दी सूचना में कहा कि न्यायाधीश जे आर मिधा के निर्देशों के संबंध में कंपनी के प्रवर्तक सलाह के अनुसार उपयुक्त कदम उठाएंगे। कंपनी ने संकेत दिया कि आदेश के खिलाफ अपील दायर की जा सकती है। कंपनी ने कहा, ‘‘हमें सलाह दी गयी है कि इस आदेश का एनसीएलटी में जारी कार्यवाही पर असर नहीं पड़ेगा। यह उच्चतम न्यायालय का 22 फरवरी, 2021 के आदेश के अनुरूप नहीं है।’’

कंपनी ने कहा कि इस आदेश के ‘प्रभावशील’ हिस्से अंश 2 फरवरी 2021 के अंतरिम आदेश में पहले से शामिल है। फ्यूचर की अपील पर उनके खिलाफ दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ ने रोक लगा रखी है। फ्यूचर रिटेल के अनुसार, ‘‘अमेजन ने उच्चतम न्यायालय में दिल्ली हाईकोर्ट की खंडपीठ के आदेश के खिलाफ अपील की है। न्यायालय ने अमेजन की अपील पर अपने आदेश में उच्च न्यायालय की खंडपीठ के स्थगन आदेश को रद्द नहीं किया है और वह अभी भी प्रभाव में है।’’

उच्चतम न्यायालय ने निर्देश दिया है कि फ्यूचर-रिलायंस सौदे पर एनसीएलटी को कार्यवाही जारी रखने की छूट होगी लेकिन अधिग्रहण योजना को मंजूर किए जाने के संबंध में कोई अंतिम आदेश नहीं जारी होगा।

न्यायाधीश मिधा ने अपने 134 पृष्ठ के आदेश में किशोर बियानी की अगुवाई वाले फ्यूचर रिटेल लि. (एफआरएल) को रिलांयस इंडस्ट्रीज के साथ किये गये सौदे पर आगे कोई कार्यवाही नहीं करने का निर्देश दिया। साथ ही यह भी कहा कि समूह ने सिंगापुर के मध्यस्थ निर्णय केंद्र के आपातकालीन न्यायाधिकरण (एमरजेंसी आर्बिट्रेटर-ईए) के आदेश का जानबूझकर उल्लंघन किया।