किसानों को साहूकारों के कर्ज और ब्याज के दुष्चक्र से बचाने के लिए किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम सरकार की ओर से संचालित की जाती है। कोई भी किसान इस स्कीम के तहत बैंकों से फसलों को बोने के लिए आसानी से कर्ज ले सकता है और एक तय अवधि में इसे चुका सकता है। सरकार ने अब इस स्कीम के तहत 1.6 लाख रुपये तक का कर्ज किसानों को बिना किसी गारंटी के उपलब्ध कराने की सुविधा भी दी है। इस स्कीम के तहत ब्याज की दर 2 फीसदी से भी कम हो सकती है। आइए जानते हैं, किसान क्रेडिट स्कीम से जुड़े तमाम अहम सवालों के जवाब…
2 फीसदी तक के ब्याज पर मिलेगा लोन: किसान क्रेडिट कार्ड स्कीम से 3 लाख रुपये तक का लोन मिल सकता है। इसके अलावा 1.6 लाख रुपये तक के लोन के लिए किसी गारंटी की भी जरूरत नहीं है। किसान क्रेडिट कार्ड्स के जरिए लोन लेने वाले किसानों को फसल बीमा योजना की सुविधा भी दी जाती है। यही नहीं इंश्योरेंस कवरेज भी मिलता है, जैसे स्थायी विकलांगता या फिर मृत्यु की दशा में 50,000 रुपये की मदद मिलेगी। इसके अलावा अन्य किसी तरह के संकट में 25,000 रुपये की मदद मिलेगी।
कैसे तय होता है रिपेमेंट पीरियड: किसान क्रेडिट कार्ड पर लिए गए लोन की अदायगी की अवधि फसल की बुआई से लेकर मार्केट में आने तक की होती है। कुछ फसलों का समय अधिक होता है तो कुछ काम वक्त कम होता है। ऐसे में फसल के लिहाज से लोन की अवधि कम या ज्यादा हो सकती है।
ब्याज का क्या है नियम: इस स्कीम के तहत किसान 3 लाख रुपये तक का लोन ले सकता है, जिसमें 1.60 लाख रुपये तक के कर्ज पर किसी भी तरह की गारंटी की जरूरत नहीं होती। यदि कोई किसान कर्ज की राशि को तय समय पर चुकाता है तो सामान्य ब्याज दर लगती है, लेकिन अवधि के बीतने के बाद चक्रवृद्धि दर से ब्याज लगती है।
बैंक कैसे तय करता है कर्ज की राशि: किसान को मिलने वाली कर्ज की राशि लोन ऑफिसर की ओर से तय की जाती है। लोन के लिए किसान की जमीन का रकबा, खेती के लिए जरूरी खर्च और उपभोग का ध्यान रखा जाता है।