जेपी ग्रुप से जुड़ी एक बड़ी खबर सामने आई है। इसकी सहयोगी कंपनी जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (Jaypee Infratech Ltd) पर प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने बड़ी कार्रवाई की है। मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़े एक मामले में ईडी ने कंपनी के प्रबंध निदेशक मनोज गौड़ (MD Manoj Gaur) को गिरफ्तार कर लिया है।

समचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, ED का आरोप है कि जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL), मनोज गौड़ के जरिए करीब 12,000 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी और घर खरीदारों के पैसे की हेराफेरी में शामिल रही है।

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 उन्होंने बताया कि कारोबारी को धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत हिरासत में लिया गया है। अधिकारियों ने बताया कि उनके खिलाफ जांच घर खरीदारों के साथ कथित धोखाधड़ी के मामले से संबंधित है।

ईडी ने मई में Jaypee Infratech Ltd., Jayprakash Associates Ltd. और उनकी सहयोगी कंपनियों की 15 लोकेशन पर छापेमारी की थी और करीब 1.7 करोड़ रुपये का कैश बरामद किया था। छापेमारी के दौरान, प्रमोटर्स व उनके परिवार के सदस्यों और ग्रुप कंपनियों के नाम पर रजिस्टर्ड प्रॉपर्टीज के अलावा फाइनेंशियल दस्तावेज और डिजिटल डेटा को भी ईडी के अधिकारियों ने सीज़ कर दिया था।

ईडी ने Prevention of Money Laundering Act (PMLA) के तहत चल रही जांच के तहत दिल्ली, मुंबई, गाजियाबद और मुंबई के कई ठिकानों पर छापेमारी की थी।

ईडी ने यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के तहत चल रही जांच के हिस्से के रूप में दिल्ली, नोएडा, गाज़ियाबाद और मुंबई में की थी। इसके अलावा, ईडी ने Gaursons India Pvt., Gulshan Homz Pvt. और Mahagun Real Estate Pvt. जैसे प्रमुख बिज़नेस एसोसिएट्स के दफ्तरों में भी तलाशी ली थी।

यह जांच दिल्ली और उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) द्वारा दर्ज एफआईआर पर आधारित है। इन एफआईआर में जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (JIL), जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) और उनके प्रमोटर्स व डायरेक्टर्स पर भारतीय दंड संहिता (IPC), 1860 की विभिन्न धाराओं के तहत बड़े पैमाने पर धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के आरोप लगाए गए हैं।

एफआईआर में आरोप है कि इन कंपनियों ने होमबायर्स और निवेशकों को फ्लैट और प्लॉट आवंटन के नाम पर गुमराह कर उनकी राशि की हेराफेरी की। इनमें Jaypee Wish Town (JIL) और Jaypee Greens (JAL) जैसे प्रोजेक्ट शामिल हैं।

जांच का केंद्र Jaypee Wish Town परियोजना से जुड़ा कथित घोटाला है, जहां 2010–11 में फ्लैट बेचे गए लेकिन अब तक सुपुर्द नहीं किए गए। 2017 में कई एफआईआर दर्ज की गईं, जब घर खरीदारों ने विरोध प्रदर्शन करते हुए आरोप लगाया कि कंपनी ने उनकी रकम को अन्य परियोजनाओं में डायवर्ट कर दिया।