देश की अर्थव्यवस्था की हालत खस्ता है। शेयर बाजार में गिरावट जारी है। वाहन उद्योग पर मंदी की मार सबसे ज्यादा पड़ी है। अर्थशास्त्री लगातार भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत पर चिंता जता रहे हैं। बड़े पैमाने पर मंदी और चार दशक की उच्च बेरोजगारी झेल रही है भारतीय अर्थव्यवस्था। देश में बेरोजगारी 45 साल के सबसे ऊंचे स्तर पर है। वाहन उद्योग क्षेत्र मंदी की चपेट में है। यह बात मई-जून के आंकड़ों से ही जाहिर होने लगी थी। जून के आंकड़ों के मुताबिक ही देश में वाहनों की बिक्री पिछले 19 साल के न्यूनतम स्तर पर थी। लेकिन, जुलाई-अगस्त में आए आंकड़े और डराने वाले हैं। वाहन उद्योग क्षेत्र का बैरोमीटर मानी जाने वाली मारुति सुजुकी की बिक्री में करीब 36 फीसद की कमी दर्ज की गई है। वाहन उद्योग क्षेत्र में तीन से चार लाख लोग बेरोजगार हुए हैं। पूरे देश में 250 से ज्यादा वाहन डीलरशिप की इकाइयां बंद हो चुकी हैं।

भवन निर्माण क्षेत्र में भी ऐसे ही हालात हैं। देश के तीस बड़े शहरों में करीब 12.75 लाख मकान बनकर तैयार हैं, लेकिन उनका कोई खरीददार नहीं है। नोटबंदी, जीएसटी की मार के बाद सरकार ने बजट में इस क्षेत्र को कुछ राहत दी, जो अप्रभावी साबित हुए। शेयर बाजार ने एक महीने में गिरने का पिछले 17 साल का रिकार्ड तोड़ दिया है। बजट में अमीरों पर लगाए गए सुपर रिच टैक्स के दायरे में आने के कारण विदेशी निवेशक लगातार भारतीय शेयर बाजारों से अपना पैसा निकाल रहे हैं।

सरकार के द्वारा जारी आर्थिक आंकड़ों की विश्वसनीयता पर बहसें होती रही हैं। विकास की रफ्तार, रोजगार के आंकड़े वगैरह के बारे में स्वतंत्र अर्थशास्री कुछ और कह रह थे और सरकार का पक्ष इन पर कुछ और रहा। अब तो कैग ने भी खस्ताहाली की बात कह दी है। कैग का कहना है कि सरकार ने आॅफ बजटिंग (ऐसे मद से पैसे की व्यवस्था जो बजट प्रस्ताव में नहीं होती, लेकिन सरकार की देनदारी का हिस्सा होती है) के सहारे अपना राजकोषीय घाटा 3.4 फीसद दिखाया है। लेकिन, अगर आॅफ बजटिंग के कर्ज को भी जोड़ दिया जाए तो यह घाटा 5.9 फीसद तक पहुंच सकता है।

[bc_video video_id=”6073201066001″ account_id=”5798671092001″ player_id=”JZkm7IO4g3″ embed=”in-page” padding_top=”56%” autoplay=”” min_width=”0px” max_width=”640px” width=”100%” height=”100%”]

कॉरपोरेट जगत के दिग्गज सरकार की आर्थिक नीतियों के खिलाफ मुखर हैं। बजाज आॅटो के चेयरमैन राजीव बजाज ने ऑटो इंडस्ट्री पर सरकार की नीति पर तंज कसते हुए यह कहा कि जब आॅटो इंडस्ट्री संकट में है तब सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की बात कर रही है। उनके पिता राहुल बजाज ने अर्थव्यवस्था के पूरे परिदृश्य पर कहा, ‘न मांग है और न कोई निजी निवेश हो रहा है। ऐसे में विकास दर कहां से आएगी। वह स्वर्ग से तो टपकेगी नहीं।’ बजाज के बाद एचडीएफसी बैंक के चेयरमैन दीपक पारेख, लार्सन एंड टूब्रो के चेयरमैन एएम नाइक सरीखे लोग भी अर्थव्यस्था को लेकर चिंता जता चुके हैं।

छोटे शहरों से भी लघु उद्योगों को लेकर अच्छी खबरें नहीं है। सूरत के हीरा उद्योग में काम करने वाले कामगारों की एसोसिएशन ने उन 13 हजार लोगों की सूची जारी की है जो पिछले कुछ महीनों में बेरोजगार हो गए हैं। जमशेदपुर के अपने प्लांट में टाटा मोटर्स ने काम बंद कर दिया है। इससे आसपास की वे तमाम इकाइयां, जो टाटा मोटर्स को अपने उत्पाद सप्लाई करती थीं, बंद होने के कगार पर आ गई हैं। आॅक्सफोर्ड से शिक्षित अर्थशास्त्री पुलापरे बालाकृष्णन ने अपने ताजा शोधपत्र में कहा कि साल 2014 से ही सूक्ष्म-आर्थिक (मैक्रोइकोनॉमिक) नीतियां अर्थव्यवस्था को सिकुड़ाने वाली रही हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ उच्च स्तरीय बैठकें की हैं। प्रधानमंत्री ने वित्त मंत्री से शेयर बाजार में आई गिरावट, आर्थिक धीमेपन और आॅटो सेक्टर्स में जान फूंकने के लिए समीक्षा कर ठोस कदम उठाने को कहा है। भारतीय रिजर्व बैंक लगातार रेपो रेट में कमी कर रहा है, लेकिन उसका असर नहीं दिख रहा है। डूबते धन के संकट से जूझ रहे बैंक ब्याज दर घटाने को तैयार नहीं हो रहे हैं।