ईरान चाहता है कि उस पर लगे प्रतिबंधों के हटने से पहले के समय का भारत फायदा उठाए और ‘तुच्छ वार्ताओं ’ में समय व्यर्थ करने के बजाय खनिज तेल के धनी उस देश की बुनियादी परियोजनाओं में अपने लिए आठ अरब डॉलर के निवेश के अवसरों का लाभ उठाए।

भारत में ईरान के राजदूत गुलामरेजा अंसारी ने अपने देश को एक ‘‘विश्वसनीय सहयोगी’’ बताते हुए कहा कि भारत को प्रतिबंध हटने से पहले अगले 3 से 5 माह के समय का फायदा उठाना चहिए क्यों कि उसके बाद पश्चिमी देशों के ईरान में अपना निवेश शुरू कर देंगे।

अंसारी ने कहा, ‘‘भारत (ईरान पर) प्रतिबंधों के कठिन दौर में भी बराबर वहां बना रहा। उन्हें अब वहां बने रहने के अवसर का लाभ उठाना चाहिए। नहीं तो मौका हाथ से निकल जाएगा।’’

अंसारी ने बताया कि इसी महीने रूस में उफा में (शंघाई सहयोग संगठन के शिखर सम्मेलन में) प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ बैठक के दौरान ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी ने ईरान की रणनीतिक ढांचागत परियोजनाओं में भारत को बड़ी भूमिका देने की पेशकश की थी। ईरान के राष्ट्रपति ने बंदरगाह, रेल सड़क और राजमार्ग जैसे क्षेत्रों में भारत से आठ अरब डॉलर का निवेश करने को कहा है।

उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री मोदी काफी सकारात्मक हैं। यहां के लोग भी काफी सकारात्मक हैं। लेकिन मैं यह कहना चाहता है कि यह सब कार्रवाई में बदलना चाहिए और हमें हल्की वार्ताओं में समय नहीं गंवाना चाहिए।’’

ईरान के राजदूत ने कहा कि ‘‘ईरान में खास कर भारत के प्रति दृष्टिकोण स्वागतपूर्ण है, ईरान में भारत का निवेश भारतीयों के लिए लाभदायक है। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार का सम्पर्क सुविधाओं पर ज्यादा बल है। यह ईरान सरकार की नीति से मेल खाता है। इसी लिए ईरान ने भारत को चाबहार जैसे रणनीतिक महत्व के बंदरगाहों और सड़क तथा रेल-मार्ग परियोजनाओं के निर्माण की परियोजनाएं देने की पेशकाश की है।

चाबहार के बारे में दोनों पक्षों का समझौता मई में हो चुका है। जहाजरानी मंत्री ने ईरान जा कर वहां के अपने समकक्ष मंत्री अब्बास अहमद के साथ 8.5 करोड़ डारल का एक करार किया। इसके तहत भारत वहां दो मौजूदा बर्थ पट्टे पर लेगा और उनका बहुउद्देश्यी कार्गो टर्मिनल के रूप में प्रयोग करेगा।