मौजूदा वित्तीय वर्ष में भारत की जीडीपी 8.4% बढ़कर 35 लाख करोड़ के पार पहुंच गई है। यह विकास दर कई अनुमानों से ज्यादा रही। बाजार में रौनक लौटने के कारण ही अर्थव्यवस्था में यह सुधार देखने को मिली है। हालांकि अर्थव्यवस्था के सामने अभी भी कई चुनौतियां बनी हुई है। मार्केट एक्सपर्ट ने बाजार की कठिनाई बताते हुए इस बात का भी उल्लेख किया कि अर्थव्यवस्था के सामने अब भी कौन तीन सबसे बड़ी चुनौतियां हैं।
इकोनॉमिक टाइम्स को दिए इंटरव्यू में जब मार्केट एक्सपर्ट और स्टॉक विशेषज्ञ सचिन शाह से सवाल पूछा गया कि बाजार अभी भी किन चुनौतियों का सामना कर सकता है। इसपर सचिन शाह ने कहा कि सबसे प्रमुख चुनौती तरलता के मामले में हैं। तरलता ही मूल्यांकन को संचालित करता है और यह काफी कम ब्याज दरों से संबंधित होता है। जब यह ब्याज दर काफी उलटने लगती है तो जैसे कि तीन-चार सालों में 200-300 बेसिस पॉइंट्स की बढ़ोतरी की संभावना है तो यह पूरे मूल्यांकन मीट्रिक को बदल सकता है।
सचिन शाह के अनुसार दूसरा चुनौती जो सबसे ख़राब हो सकती है वह महंगाई है। महंगाई की वजह से अधिकांश चीजों की कीमतें काफी बढ़ी हुई है। धातुओं से लेकर कृषि उत्पाद और तेल की कीमतें काफी बढ़ी हुई है। लेकिन अब वहां धीरे धीरे सुधार देखा जा रहा है। करीब 1 तिहाई वस्तुओं में यह सुधार हो रहा है। हो सकता है कि यह चीनी अर्थव्यवस्था में आई मंदी के कारण हुआ हो। हालांकि इससे वस्तुओं की कीमतों को कम करने में मदद मिलेगी। इसलिए यह जोखिम अभी भी हमारे सामने बना हुआ है।
आगे उन्होंने कहा कि तीसरी महत्वपूर्ण बात यह है कि हम सभी अगले दो वर्षों में होने वाली आय वृद्धि पर भरोसा कर रहे हैं ताकि अधिकांश भारतीय कॉरपोरेट वास्तव में इसको वितरित कर सकें और इसके लिए उन्हें वैसी कुछ स्थिति की आवश्यकता होगी जो कि जीडीपी की वृद्धि से आना है। इसलिए सार्वजनिक क्षेत्र का पूंजीगत खर्च, विनिवेश योजना और निर्यात में बहुत तेजी बनी रहनी चाहिए। यदि इनमें से कुछ बड़े फैक्टर सामने आते हैं तो अगले दो वर्षों के लिए हमारा अनुमान है कि आय में बहुत तेज वृद्धि होगी।
गौरतलब है कि कोरोना महामारी के दौरान साल 2020 में अप्रैल से जून के दौरान देश की अर्थव्यवस्था 24.4% की दर से गिरी थी जबकि पिछले साल अक्टूबर से नवंबर के दौरान इसमें 0.4% की बढ़त दिखी थी। इस साल अप्रैल से जून 2021 के दौरान 20.1% की दर से बढ़त देखी गई थी। इस साल अक्टूबर में कई प्रमुख सेक्टर की वृद्धि काफी ठीक रही। इसमें कोयला, सीमेंट, खाद और तेल उद्योगों भी शामिल रहे।