निजीकरण की ओर कदम बढ़ाते रेलवे में आने वाले कुछ सालों में बड़े बदलाव देखने को मिल सकते हैं। अगले 5 सालों के लिए तैयार किए गए रेलवे के प्लान के तहत 500 ट्रेनें निजी कंपनियों के हाथों में सौंपी जा सकती है। टाइम्स ऑफ इंडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने 2025 तक अहम रूटों पर 500 ट्रेनों को प्राइवेट हाथों में सौंपने का रोड मैप तैयार किया है। इसके अलावा 750 रेलवे स्टेशन भी रखरखाव के लिए निजी कंपनियों को सौंपे जा सकते हैं।
यदि सरकार इस राह पर आगे बढ़ती है तो यह रेलवे के बड़े पैमाने पर निजीकरण की शुरुआत होगी। पिछले साल ही रेलवे ने दिल्ली से लखनऊ के रूट पर देश की पहली प्राइवेट ट्रेन तेजस को चलाया था। इसके बाद जनवरी में ही मुंबई-अहमदाबाद रूट पर यह प्रयोग किया गया है। बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पीएम मोदी के संसदीय क्षेत्र वाराणसी से इंदौर के बीच देश की तीसरी प्राइवेट ट्रेन तेजस चलाने का ऐलान किया था।
दिल्ली से मुंबई जैसे अहम रूटों पर दौड़ेंगी सुपरफास्ट निजी ट्रेनें: यही नहीं सोमवार को ही सरकार ने यह बताया था कि 100 रूटों पर 150 प्राइवेट ट्रेनों को चलाए जाने की योजना है। इसके लिए निजी सेक्टर से 22,500 करोड़ रुपये तक के निवेश की संभावना जताई जा रही है। रेलवे की ओर से ‘निजी भागीदारी: यात्री ट्रेनें’ शीर्षक से तैयार किए गए पेपर में जिन 100 रूटों का का जिक्र किया गया है, उनमें मुंबई से दिल्ली, दिल्ली से पटना, प्रयागराज से पुणे और दादर से वड़ोदरा जैसे अहम रूट शामिल हैं।
लखनऊ से जम्मू के लिए भी निजी ट्रेन की है तैयारी: यही नहीं इदौर से ओखला, लखनऊ से जम्मू, सिकंदराबाद से गुवाहाटी और आनंद विहार से भागलपुर और हावड़ा जैसे रूटों पर भी निजी ट्रेनों को दौड़ाए जाने का प्रस्ताव है। सूत्रों के मुताबिक रेलवे ने इन 100 रूटों को कुल 10 से 12 क्लस्टर्स में विभाजित किया है।