केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) में जारी तनातनी के बीच आर्थिक मामलों के एक विशेषज्ञ ने दावा किया है कि अगर आरबीआई ने केंद्र को अपनी जमा पूंजी दे दी, तो देश की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लग सकता है। यह रकम 3.6 खरब रुपए के आस-पास बताई जा रही है। अगर आरबीआई इसे केंद्र सरकार को दे देगा, तो अनायास ही देश की अर्थव्यवस्था को झटका लगने की आशंका रहेगी, जिसकी वजह से ब्याज दरें भी बढ़ेंगीं। साथ ही रोजगार और अन्य चीजों पर भी उसका व्यापक स्तर पर दुष्प्रभाव पड़ेगा।
‘बिजनेस स्टैंडर्ड’ में छपे अपने लेख में आरबीआई के पूर्व कार्यकारी निदेशक वी.के.शर्मा ने कहा, “आरबीआई के पास बैलेंस शीट के आंकड़ों पर जो जमा पूंजी है, उसके दो हिस्से हैं। पहला- करेंसी एंड गोल्ड रीवैल्यूएशन एकाउंट (सीजीआरए), जबकि दूसरा कंटीजेंसी फंड है। ये रिजर्व सिर्फ रीवैल्यूएशन रिर्जव हैं, जो कि समय-दर-समय विभिन्न बाजारों के हिसाब से विदेशी मुद्रा व सोने की चीजों के रूप में नफा-नुकसान को आरबीआई की बैलेंस शीट पर दर्शाते हैं। मौजूदा समय में इसमें आरबीआई की कुल संपत्तियों (36 खरब रुपए) में से अधिकतम सात खरब रुपए जुड़ सकते हैं, जिसमें कि कुल संपत्तियों का 20 फीसदी हिस्सा है।”
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शर्मा के मुताबिक, आरबीआई की जमा पूंजी के बाकी हिस्से में 2.5 खरब रुपए आते हैं, जिसमें कुल सात फीसदी की संपत्तियां शामिल हैं। आरबीआई की कुल आय से आने वाले इक्विटी कैपिटल और कंटीजेंसी फंड भी इस पूंजी में शामिल होते हैं। ऐसे में कुल जमा पूंजी करीब 9.5 खरब रुपए हो जाती है, जिसमें कुल संपत्तियों का 27 फीसदी हिस्सा होता है।
हाल ही में मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि केंद्र सरकार ने आरबीआई के समक्ष पैसों की किल्लत होने की बात कही थी। हालांकि, सरकार की ओर से जवाब में कहा गया था कि उसके पास इस प्रकार का कोई डेटा ही नहीं है। आगे इस मामले को लेकर केंद्र ने आरबीआई के सात खरब रुपए वाले रीवैल्यूवेशन रिजर्व्स से 3.6 खरब रुपए की मांग की थी।
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एक्सपर्ट के अनुसार, आरबीआई इतनी बड़ी रकम (अनरियलाइज नेट गेन) तभी ट्रांसफर कर सकती है, जब वह 14.5 खरब की विदेशी मुद्रा व सोने की चीजों को बेचेगा, क्योंकि सात खरब रुपए का यह नेट गेन उसकी 28 खरब रुपए की विदेशी मुद्रा व सोने की चीजों के पुनर्मूल्यांकन से होगा। लेकिन जब आरबीआई अपनी कुल संपत्तियों का 40 फीसदी रकम वाला हिस्सा और विदेशी मुद्रा व सोने की वस्तुओं वाला 51 प्रतिशत हिस्सा बेचेगा, तो इस रकम में भारी गिरावट आएगी।
लेख में शर्मा ने आगे कहा कि संपत्तियों की बिक्री के परिणामों के चलते जमा पूंजी वाली रकम (प्राइमरी लिक्विडिटी) सीधे तौर पर कम हो जाएगी। वर्तमान में यह रकम 26 खरब रुपए है, जो कि नए परिणाम के बाद 15 खरब रुपए तक आने की आशंका होगी। जमा पूंजी में 11 खरब रुपए की इस कमी की वजह से ब्रॉड मनी सप्लाई (एम3) में भी गिरावट आएगी। यह रकम मौजूदा समय में 145 खरब रुपए है, जबकि गिरावट के बाद यह 84 खरब हो सकती है। ऐसे में भारत की अर्थव्यवस्था को तगड़ा झटका लगेगा। ब्याज दरें भी बढ़ेंगी। उत्पादन व रोजगार में भी कमी आएगी। खासकर, जीडीपी 166 खरब (अभी की) से गिरकर 97 खरब रुपए पर आ जाएगी।
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