वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार (10 जुलाई) को कहा कि कालाधन के खिलाफ नरेंद्र मोदी सरकार की दो साल की ‘सक्रियता’ से विदेशों में भारतीयों द्वारा रखी गयी अवैध धन-संपत्ति में उल्लेखनीय कमी आई है। उन्होंने यह भी कहा कि जी-20 देशों द्वारा शुरू की गई कार्रवाई के साथ साथ नई प्रौद्योगिकी लागू करने से भी लोगों के लिए देश विदेश में कालाधन छुपाना मुश्किल होगा। जेटली ने कहा, ‘आज उन लोगों में घबड़ाहट है जो देश के बाहर संपत्ति रखे हुए हैं। अगर आप 1947 से 2014 को देखें तो उस दौरान जो भी कदम उठाए गए, वह पिछले दो साल में इस सरकार द्वारा उठाए गए कदमों के मुकाबले नगण्य लगते हैं।’

वह यहां सरकार की आय खुलासा योजना (आईडीएस) के बारे में लोगों को संवेदनशील बनाने के लिए आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। इसके तहत कर चोरी करने वालों को अघोषित आय का खुलासा करने के लिए समय दिया गया है। वे 30 सितंबर तक 45 प्रतिशत का भुगतान कर पाक साफ हो सकते हैं। मंत्री ने कहा, ‘हाल की रपटें संकेत देती हैं कि देश के बाहर रखे गए धन की मात्रा में उल्लेखनीय कमी आई है।’ उन्होंने कहा, ‘अगर आप पिछले दो साल में सक्रियता को देखें तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जो पहला निर्णय किया, वह उच्चतम न्यायालय के निर्देश को स्वीकार करना तथा उच्चतम न्यायालय के दो सेवानिवृत्त न्यायाधीश के साथ एसआईटी का गठन था।’

जेटली ने कहा कि कालाधन के खुलासे के लिए मोहलत तथा एचएसबीसी, इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इनवेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आईसीआईजे) तथा पनामा दस्तावेज खुलासे के आधार पर कार्रवाई समेत सरकार के सामूहिक प्रयासों से विदेशों में रखे गए कालाधन को वापस लाने में मदद मिली। कई लोगों पर कार्रवाई की जा रही है। वित्त मंत्री जेटली ने कहा, ‘हमने पहले उन लोगों को एक मौका दिया जिन्होंने देश की संपत्ति विदेशों में रखा है। इसका मकसद कालाधन वापस लाना था। एचएसबीसी खातों के बारे में सूचना का आकलन किया गया और लोगों के खिलाफ अभियोजन चलाया जा रहा है, करीब 8,000 करोड़ रुपए का पता लगाया गया।’

उन्होंने कहा, ‘आईसीआईजे ने बड़ा खुलासा किया जिसमें भारतीय 5,000 करोड़ रुपए विदेश में रखे पाए गए। कइयों के खिलाफ अभियोजन चलाया जाएगा। पनामा दस्तावेज में कुछ खुलासे हुए। उसके आधार पर जिन्होंने अवैध संपत्ति रखी है, उनके खिलाफ नए कानून के तहत अभियोजन चलाया जा सकता है।’ जेटली ने कहा कि आने वाले समय में प्रौद्योगिकी प्रगति से कालाधन सृजित करना और उसे खर्च करना मुश्किल होगा। उन्होंने कहा, ‘एकबार जीएसटी (वस्तु एवं सेवा कर) लागू हो जाता है, उसके बाद सभी सौदों का मिलान किया जाएगा चाहे वे वस्तुएं हों या फिर सेवाएं।’

जेटली ने कहा कि जी-20 देशों ने एक-दूसरे के साथ सहयोग करने का फैसला किया है और 2017 तक उन लोगों के सौदों के बारे साथ के साथ सूचना उपलब्ध होगी जिनकी संपत्ति विदेश में है। इससे लोग गुप्त रूप से संपत्ति रखने से बचेंगे। उन्होंने कहा कि आईडीएस लोगों के लिए एक मौका है कि वे करदाता बनें और अपनी आय एवं संपत्ति की सही घोषणा करे।