कहते हैं जो जितना संघर्ष करता है, उसे उतनी ही बड़ी सफलता मिलती है। ये कहावत रविन्द्र किशोर यानी आरके सिन्हा पर सटीक बैठती है। वैसे तो आरके सिन्हा राज्यसभा के सांसद भी हैं लेकिन उनकी पहचान देश के चर्चित कारोबारी के तौर पर है। आरके सिन्हा सिक्योरिटी एंड इंटेलिजेंस सर्विसेज (SIS) के फाउंडर हैं।

आरके सिन्हा का जन्म बिहार के एक लोअर मिडिल क्लास फैमिली में हुआ था। बड़ा परिवार होने की वजह से आर्थिक तंगी का भी सामना करना पड़ता था। फोर्ब्स के एक आर्टिकल के मुताबिक पैसे की कमी की वजह से आरके सिन्हा के बहन की मौत हो गई। बहन को तेज बुखार था और आरके सिन्हा के पिता के पास पैसे नहीं थे। साल 1971 में 20 साल की उम्र में पटना के दैनिक अखबार में ट्रेनी रिपोर्टर की नौकरी शुरू की। साल 1971 में बांग्लादेश की आजादी को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच जंग छिड़ी हुई थी तभी आरके सिन्हा को रिपोर्टिंग के लिए बॉर्डर पोस्ट पर भेजा गया। इस दौरान आरके सिन्हा ने भारतीय सेना में नेटवर्क बढ़ाया।

साल 1974 में आरके सिन्हा जेपी आंदोलन से जुड़ गए लेकिन उन्हें नौकरी गंवाकर इसकी कीमत चुकानी पड़ी। नौकरी से निकाले जाने के बाद आरके सिन्हा ने सेना में अपने दोस्तों की मदद से एक कंपनी की शुरुआत करने का फैसला लिया।

इस दौरान सिन्हा के पास सिर्फ 250 रुपये थे। इसके बावजूद आरके सिन्हा का इरादा कमजोर नहीं था। उन्होंने पटना में ही एक छोटा गैरेज लीज पर लिया और 1974 में सिक्युरिटी एंड इंटेलिजेंस सर्विसेज (SIS) इंडिया प्रा. लि. नाम की कंपनी खोल ली।

भारत की निजी सुरक्षा क्षेत्र में काम करने वाली सबसे बड़ी कंपनी सिक्युरिटी एंड इंटेलिजेंस सर्विसेज (SIS) इंडिया के रेवेन्यू की बात करें तो बीते वित्त वर्ष में करीब 20 फीसदी का ग्रोथ के साथ 84,852 करोड़ रुपये रहा। वहीं, मार्केट कैप भी करीब आठ हजार रुपये के स्तर पर है। इस कंपनी का भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड और सिंगापुर में विस्तार हो चुका है।