भारत 2027 तक जापान और जर्मनी को पछाड़कर दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। ऐसा वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का कहना है। वित्त मंत्री ने बुधवार को हिंद-प्रशांत क्षेत्रीय संवाद को संबोधित करते कहा कि वैश्विक प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद इस साल भारत की आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत से थोड़ा कम रहने का अनुमान है। यह दुनिया की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे ज्यादा है। उन्होंने कहा कि इसलिए भारतीय अर्थव्यवस्था सही रास्ते पर है और उज्ज्वल भविष्य की ओर बढ़ रही है। इस दौरान उन्होंने कहा कि दुनिया के सामने जारी कई बड़ी कठिनाइयों के बावजूद भारत लगातार आर्थिक बढ़ोतरी कर रहा है।
वित्त मंत्री ने और क्या कहा?
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘‘अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (IMF) के अनुमान के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था 2027 तक जापान और जर्मनी को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के लिए तैयार है। उस समय भारत का सकल घरेलू उत्पाद (GDP) 5,000 अरब अमेरिकी डॉलर के स्तर को पार कर जाएगा। 2047 तक भारत एक विकसित अर्थव्यवस्था बनना चाहता है।’’
वित्त मंत्री ने कहा कि भारत में नौ राज्य और चार केंद्र शासित प्रदेश हैं जो समुद्र तट पर मौजूद हैं। 12 प्रमुख और 200 से अधिक गैर-प्रमुख बंदरगाह हैं। अंतरराष्ट्रीय तथा घरेलू व्यापार के लिए जलमार्गों का एक विशाल नेटवर्क है। भारत की समुद्री अर्थव्यवस्था पर उन्होंने कहा कि यह सकल घरेलू उत्पाद का करीब चार प्रतिशत है। संयुक्त राष्ट्र व्यापार और विकास सम्मेलन (UNCTAD) के मुताबिक भारत 2020 में विकासशील देशों के बीच महासागर आधारित वस्तुओं तथा सेवाओं का दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक था। वित्त मंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि हिंद-प्रशांत बिना किसी शक के दुनिया का सबसे आर्थिक रूप से गतिशील क्षेत्र है। उन्होंने कहा कि इसमें वैश्विक सकल घरेलू उत्पाद का 60 प्रतिशत और वैश्विक व्यापारिक व्यापार का करीब 50 प्रतिशत शामिल है।
सिर ऊंचा कर चल रहा हर भारतीय
वित्त मंत्री ने कहा कि जैसे-जैसे भारत की अर्थव्यवस्था बेहतर हो रही है देश भेटरी की ओर जा रहा है। वह अपनी व्यापक राष्ट्रीय ताकत के साथ-साथ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी अपना कद बढ़ा रहा है।
निर्मला सीतारमण ने कहा, ‘‘आज भारतीय चाहे देश में हों या विदेश में सिर ऊंचा करके खड़े होते हैं, चलते हैं, बात करते हैं और काम करते हैं… दुनिया भारत की उपलब्धियों तथा सफलताओं की सराहना करती है और कई संकट के बीच उसकी जुझारू क्षमता की सराहना की जाती है।”