वित्त मंत्री अरुण जेटली ने रविवार (26 जून) को कहा कि भारत को बुनियादी ढांचा में अंतर को पाटने के लिये अगले 10 साल में 1500 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत है क्योंकि सरकार ने बड़े पैमाने पर आधुनिकीकरण योजना के तहत 2019 तक सात लाख गांवों को सड़कों से जोड़ने का लक्ष्य रखा है। एआईआईबी के निदेशक मंडल की बैठक में भाग लेने के लिए चीन आए जेटली ने कहा, ‘हम वैश्विक नरमी के दौर में सतत वृद्धि हासिल करने में कामयाब रहे हैं और इसका कारण भारत में बुनियादी ढांचा निर्माण है जहां अंतर काफी अधिक है।’
उन्होंने कहा, ‘अगले दशक में हमें बुनियादी ढांचा के अंतर को दूर करने के लिए 1500 अरब डॉलर के निवेश की जरूरत है। कीमतों में कमी के कारण हमारे पास जो अतिरिक्त संसाधन है, हम उसका भी उपयोग कर रहे हैं…।’ ‘बुनियादी ढांचा और वैश्विक आर्थिक वृद्धि पर आयोजित सेमिनार को संबोधित करते हुए वित्त मंत्री ने कहा कि भारत में सात लाख गांव हैं और हमारा इरादा 2019 तक इन्हें एक-दूसरे से जोड़ना है तथा इसके लिए बड़े पैमाने पर निवेश की जरूरत है। इस सेमिनार का आयोजन चीन समर्थित एशिया इंफ्रास्ट्रक्चर इनवेस्टमेंट बैंक (एआईआईबी) ने कई देशों के वित्त मंत्रियों के साथ मिलकर किया। उन्होंने भारत के मौजूदा बुनियादी ढांचा कार्यक्रम के तहत बड़े पैमाने पर ग्रामीण स्वच्छता कार्यक्रम के बारे में भी बातें रखी।
वित्त मंत्री जेटली ने कहा, ‘इस साल राजमार्ग निर्माण के संदर्भ में ही हमारा लक्ष्य 10,000 किलोमीटर है। हमारी रेल प्रणाली 100 साल पुरानी है। हम बड़े पैमाने पर आधुनिकीकरण के लिये कदम उठा रहे हैं।’ उन्होंने कहा कि सरकार रेलवे स्टेशन को वाणिज्यिक केंद्रों में बदलने के लिये निजी क्षेत्र की भागीदारी पर जोर दे रही है। जेटली ने कहा कि सरकार की और हवाईअड्डे, समुद्री बंदरगाह के निर्माण की योजना है। साथ ही पर्यावरण रूप से अनुकूल अक्षय ऊर्जा पर विशेष जोर के साथ और अधिक मात्रा में बिजली उत्पादन का लक्ष्य है। उन्होंने कहा, ‘इन सभी क्षेत्रों पर हमारा जोर है और इस दिशा में कदम उठा रहे हैं।’
बड़े पैमाने पर विकास के लिए वित्त पोषण की व्यवस्था के बारे में जेटली ने कहा, ‘हम मानते हैं कि शुरुआती बिंदु सार्वजनिक वित्त है। जब सार्वजनिक वित्त लगाया जाता है, आप आकर्षित करना शुरू करते हैं और निजी कोष आने की गतिविधियां शुरू होती हैं।’ उन्होंने कहा कि साथ ही विश्वबैंक, एशियाई विकास बैंक जैसे बड़ी संख्या में विकासात्मक संस्थान हैं जो काफी धन लगा रहे हैं क्योंकि बुनियादी ढांचा वित्त पोषण सतत आधार पर दीर्घकालीन रिटर्न भी लाता है। जेटली ने कहा कि सरकार ने भारत बुनियादी ढांचा निवेश कोष का गठन किया है जिसमें सरकार की अल्पांश हिस्सेदारी है।
वित्त मंत्री जेटली ने कहा, ‘यह एक नया प्रयोग है जिसे हमने किया है और हमें इसके सफल होने की पूरी उम्मीद है।’ उन्होंने कहा कि भारत का जोर अगले दशक में बुनियादी ढांचा के मामले में अंतर को भरना है जिससे वृद्धि और रोजगार में बढ़ोतरी होगी तथा गरीबी को कम करने में मदद मिलेगी।’ जेटली ने कहा, ‘हमारा प्रयास उभरती अर्थव्यवस्था को विकसित अर्थव्यवस्था की श्रेणी में लाने का है। हम मानते हैं कि भारत जैसे बड़ी आबादी वाले देश के लिये यह अत्यंत महत्वपूर्ण है।’ उन्होंने कहा कि वैश्विक आर्थिक नरमी रोकने के लिसे बुनियादी ढांचा विकास महत्वपूर्ण है।
जेटली ने कहा कि असामानता को दूर करने के लिए बड़ी संख्या में अर्थव्यवस्थाओं को बुनियादी ढांचा में अंतर को पाटने की जरूरत है। उन्होंने कहा, ‘अगले दशक में दुनिया को अंतर को पाटने के लिये अरबों डालर की जरूरत है। मुझे लगता है कि यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि अगर दुनिया मौजूदा नरमी के दौर से बाहर निकाला जाए, इस लिहाज से बुनियादी ढांचा विकास महत्वपूर्ण है।’ जेटली ने सेमिनार में यह भी कहा कि परियोजनाएं तब सफल होती हैं जब परियोजनाओं में निवेश के लिये जोखिम को खत्म किया जाए। उन्होंने कहा, ‘निवेश के लिए जोखिम को कम करना और एक तरह से उसे समाप्त करना है। तभी बुनियादी ढांचा सृजन तेजी से हो सकता है।’ सेमिनार में जेटली के अलावा चीन के वित्त मंत्री लोऊ जिवेई, लक्जमबर्ग के वित्त मंत्री पियरे एजिड ग्रामेगना, जोर्डन के योजना एवं अंतरराष्ट्रीय सहयोग मंत्री इमाद नजीब फाकुरी, एआईआई के अध्यक्ष जिन लिक्वन आदि मौजूद थे।