भारत और ईरान ने सोमवार (23 मई) को रणनीतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण चाबहार बंदरगाह को विकसित करने और एक एल्युमीनियम संयंत्र लगाने के लिए शुरुआती समझौता करने सहित 12 समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इनमें भारत को अफगानिस्तान और मध्य एशिया तक पहुंच सुनिश्चित कराने वाली रेल लाइन बिछाने का समझौता भी शामिल है। भारत की सार्वजनिक क्षेत्र की रेल कंपनी इरकॉन ईरान के चाबहार बंदरगाह से अफगानिस्तान तक 500 किलोमीटर लंबी रेल लाइन बिछायेगी जिसपर 1.6 अरब डॉलर की लागत आने का अनुमान है। यह रेल लाइन ईरान के दक्षिणी तटीय इलाके से अफगानिस्तान के जाहेदान तक बिछाई जाएगी।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रविवार (22 मई) से शुरू हुई पहली ईरान यात्रा के दौरान इन समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। रेल लाइन बिछाने के लिए भारत की इरकॉन ने ईरान की कंस्ट्रक्शन डेवलपमेंट ऑफ ट्रांस्पोर्ट एण्ड इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी (सीडीटीआईसी) के साथ आपसी सहमति ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। इरकॉन के प्रबंध निदेशक मोहन तिवारी और ईरान के रेल उपमंत्री पाउरसैयद अघेई ने समझौते पर हस्ताक्षर किए। समझौते पर हस्ताक्षर ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी और प्रधानमंत्री मोदी की उपस्थिति में किए गए। पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बाद पिछले 15 साल के दौरान ईरान की यात्रा करने वाले मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं।

भारत-ईरान के बीच सबसे महत्वपूर्ण करार ईरान के दक्षिणी तट पर चाबहार बंदरगाह के पहले चरण के विकास के बारे में है। इसे भारत के साथ एक संयुक्त उद्यम के जरिए विकसित किया जाएगा। इसमें चाहबहार बंदरगाह के दो टर्मिनलों और पांच गोदी का 10 साल तक विकास एवं संचालन किया जाएगा। इसके लिए एक्जिम बैंक और ईरान के पोर्ट्स एण्ड मैरीटाइम आर्गनाइजेशन के बीच 15 करोड़ डॉलर के रिण के लिए एमओयू समझौता भी शामिल है। एक्जिम बैंक और सैंट्रल बैंक ऑफ ईरान के बीच एक स्वीकृति वक्तव्य पर भी हस्ताक्षर किए गए जिसमें स्टील रेलों के आयात और चाबहार बंदरगाह के क्रियान्वयन के लिए 3,000 करोड़ रुपए तक की रिण उपलब्धता के लिये स्वीकृति दी गई है।

सार्वजनिक क्षेत्र की नाल्को ने चाबहार मुक्त व्यापार क्षेत्र में 5 लाख टन क्षमता का एल्युमीनियम स्मेल्टर लगाने की संभावना के लिए एमओयू पर दस्तखत किए हैं। यह स्मेल्टर तब लगाया जाएगा जब ईरान सस्ती प्राकृतिक गैस उपलब्ध कराएगा। ईरान के एक्सपोर्ट गारंटी फंड तथा भारत के एक्पोर्ट गारंटी कारपोरेशन के बीच एमओयू हुआ है। इन दस्तावेजों में दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के बीच नीति निर्माण के लिए वार्ता तथा शोध संस्थानों के बीच परिचर्चा के लिए एमओयू पर दस्तखत भी शामिल है। एक अन्य समझौता ईरान के विदेश मंत्रालय के स्कूल फॉर इंटरनेशनल रिलेशंस तथा भारत के विदेश सेवा संस्थान (एफएसआई) के बीच किया गया है।

साथ ही ईरान के विज्ञान, शोध और प्रौद्योगिकी मंत्रालय तथा भारत के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के बीच सरकारी व्यवस्था के बारे में करार हुआ है। भारतीय राष्ट्रीय अभिलेखागार तथा ईरान के राष्ट्रीय पुस्तकालय के बीच भी एमओयू पर दस्तखत किए गए हैं। संस्कृति मंत्रालय तथा ईरान के संस्कृति तथा इस्लामिक दिशानिर्देशन मंत्रालयों के बीच सांस्कृतिक सहयोग के लिए सरकारी व्यवस्था संबंधी करार हुआ है। ईरान के इस्लामिक संस्कृति तथा संबंध संगठन तथा भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के बीच भी एक एमओयू पर दस्तखत हुए हैं।