कोविड-19 महामारी का देश की अर्थव्यवस्था पर गहरा असर हुआ है। राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (एनएसओ) के मुताबिक वित्त वर्ष 2020-21 में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में 7.7 प्रतिशत गिरावट का अनुमान है।
मुख्यतौर पर मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में गिरावट की वजह से ये स्थिति बनने का अनुमान है। हालांकि, इस संकट के दौर में भी कृषि क्षेत्र में ग्रोथ होने की बात कही गई है। एनएसओ ने ये जानकारी ऐसे समय में दी है जब बारिश और कड़ाके की ठंड के बीच दिल्ली की सीमाओं पर कृषि कानूनों को लेकर किसान डटे हुए हैं। ये किसान कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग पर अड़े हुए हैं।
कृषि क्षेत्र में कितना ग्रोथः वित्त वर्ष 2020-21 में कृषि, वन और मत्स्यपालन की वास्तविक सकल मूल्य वर्धन (जीवीए) वृद्धि दर 3.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है जबकि 2019-20 में इस क्षेत्र की वृद्धि दर 4 प्रतिशत रही थी।
इसी तरह चालू वित्त वर्ष में बिजली, गैस, जलापूर्ति और अन्य यूटिलिटी सेवाओं की वृद्धि दर 2.7 प्रतिशत रहने का अनुमान है। 2019-20 में इन क्षेत्रों की वृद्धि दर 4.1 प्रतिशत रही थी। चालू वित्त वर्ष में जीवीए में मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र में 9.4 प्रतिशत की गिरावट आने का अनुमान है।
क्या है जीवीएः आसान भाषा में समझें तो जीवीए से किसी इकोनॉमी में होने वाले टोटल आउटपुट और इनकम का पता चलता है। इससे ये जानकारी मिलती है कि तय अवधि में इनपुट कॉस्ट और रॉ मैटीरियल का दाम निकालने के बाद कितने रुपये की प्रोडक्टिविटी हुई है। इसका आकलन कृषि, मैन्युफैक्चरिंग समेत अन्य क्षेत्रों के लिए भी किया जाता है।
सरकार की ओर से आया बयानः इस अनुमान को लेकर केंद्र सरकार की ओर से भी बयान आया है। वित्त मंत्रालय ने बयान में कहा, ‘‘2020-21 का अग्रिम अनुमान चालू वित्त वर्ष की तीसरी और चौथी तिमाही में आर्थिक गतिविधियों में तेजी से सुधार का संकेत देता है। यही वजह है कि चालू वित्त वर्ष में अर्थव्यवस्था में गिरावट अब 7.7 प्रतिशत ही रहने का अनुमान है।’’
भारतीय स्टेट बैंक की शोध रिपोर्ट इकोरैप में कहा गया है, ‘‘अब यह आधिकारिक हो गया है कि कोविड-19 महामारी से भारतीय अर्थव्यवस्था में 1979-80 के बाद पहली बार गिरावट आएगी।’’ बता दें कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में अर्थव्यवस्था में 23.9 प्रतिशत और दूसरी तिमाही में 7.5 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई।