अंतरराष्ट्रीय मुद्रो कोष (आईएमएफ) ने भारत में आर्थिक सुस्ती को लेकर चेतावनी दी है। संगठन ने कहा है भारत सरकार अर्थव्यवस्था पर छाए संकट को दूर करने के लिए तुरंत एक्शन ले। आईएमएफ की वार्षिक रिपोर्ट में कहा गया है कि खपत और निवेश और टैक्स रेवन्यू में गिरावट, दुनिया में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक भारत को प्रभावित कर रही है।

आईएमएफ के एशिया ऐंड पैसिफिक डिपार्टमेंट से जुड़े रानिल सालगादो ने इस रिपोर्ट पर कह है कि भारत को नीतिगत फैसले लेने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि  ‘उच्च ऋण स्तर और ब्याज भुगतान को देखते हुए सरकार ने खर्च के अवसरों को कम किया है। इन सब संकटों के बावजूद भारत के मौजूदा संकट को आर्थिक संकट नहीं कहा जा सकता। मेरा मानना है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में सुस्ती संरचनात्मक नहीं, चक्रीय है।’

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत ने बीते कुछ समय में करोड़ों लोगों को गरीबी से बाहर निकाला है लेकिन फिलहाल देश की अर्थव्यवस्था डगमगाई हुई है। इसके लिए नीतिगत फैसले लेने की जरूरत है। निदेशकों को लगता है कि मजबूत जनादेश वाली नयी सरकार के सामने यह सुधारों को आगे बढ़ाने का एक बेहतर अवसर है।

इससे पहले आईएमएफ चीफ इकोनॉमिस्ट गीता गोपीनाथ ने कहा था कि भारत को आर्थिक सुस्ती से जल्द राहत मिलने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं। गीता गोपीनाथ ने देश में भूमि सुधार और श्रम कानूनों पर बातचीत करते हुए कहा कि भारत में भूमि सुधार और श्रम कानूनों में सुधार की जरुरत है।

उन्होंने कहा ‘इस समय भारतीय अर्थव्यवस्था में उतार-चढ़ाव की स्थिति और संरचनात्मक चुनौतियों को देखते हुए घरेलू मांग में नरमी से निपटने वाली नीतियों पर अमल करने की जरूरत है। इसके साथ ही उत्पादकता बढ़ाने और मध्यम अवधि में रोजगार सृजन में सहायक नीतियों की भी जरूरत है।’