देश के सबसे अमीर और दुनिया में 5वें नंबर के सबसे रईस शख्स मुकेश अंबानी का जन्म 19 अप्रैल, 1957 को यमन में हुआ था। उस वक्त कारोबार के सिलसिले में उनके पिता धीरूभाई अंबानी और मां कोकिलाबेन वहीं मौजूद थे। यह वह दौर था, जब धीरूभाई अंबानी देश के बड़े कारोबारियों में शुमार नहीं किए जाते थे। यहां तक कि 1970 के दशक तक भी वह बेहद साधारण जिंदगी बिता रहे थे। अंबानी परिवार उस दौर में दक्षिण मुंबई के इलाके बालेश्वर में दो बेडरूम के फ्लैट में रहता था।
मुंबई के हिल ग्रैंजे स्कूल से हाई स्कूल करने वाले मुकेश अंबानी ने माटुंगा के इंस्टिट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी से केमिकल इंजीनियरिंग की डिग्री ली थी। इसके बाद मुकेश अंबानी ने एमबीए की डिग्री लेने के लिए स्टैनफर्ड यूनिवर्सिटी का रुख किया था। लेकिन वह बीच में ही अपनी पढ़ाई छोड़कर लौट आए। मुकेश अंबानी अपने पिता धीरूभाई अंबानी की रिलायंस को खड़ा करने में मदद करने के लिए वापस आए थे। उस दौर में रिलायंस धीमी मगर मजबूत शुरुआत के दौर में थी।
टेक्सटाइल के कारोबार में कंपनी काम कर रही थी। रिलायंस की किस्मत उस वक्त चमकी, जब इंदिरा गाँधी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ने पोलिस्टर फिलामेंट यार्न की मैन्युफैक्चरिंग को प्राइवेट सेक्टर के लिए भी खोलने का फैसला लिया। उस दौर की दिग्गज कंपनियों टाटा और बिड़ला जैसे ग्रुप्स ने इसके लिए आवेदन किया था। हालांकि बाजी धीरूभाई अंबानी के हाथ लगी और रिलायंस को पोलिस्टर मैन्युफैक्चरिंग प्लांट लगाने का लाइसेंस मिल गया। इस प्लांट को लगाने के लिए ही मुकेश अंबानी ने एमबीए की पढ़ाई छोड़ दी। इसके साथ ही रिलायंस ने अपने फोकस को बदलते हुए टेक्सटाइल से पोलिस्टर फाइबर का रुख किया।
यहीं से रिलायंस की उड़ान शुरू हुई और फिर कंपनी ने पेट्रोकेमिकल्स, पेट्रोलियम रिफाइनिंग और तेल एवं गैस के उत्पादन के सेक्टर में भी अपने कदम बढ़ा लिए। औपचारिक तौर पर मुकेश अंबानी ने 1981 में कारोबार संभालना शुरू किया और एक नए सेक्टर में घुसते हुए रिलायंस इन्फोकॉम लिमिटेड की स्थापना की। कहा जा सकता है कि तकनीकी क्षेत्र में रिलायंस का यह पहला कदम था। आज एक बार फिर से कंपनी रिलायंस जियो के माध्यम से टेक, टेलिकॉम और न्यू मीडिया के सेक्टर में अपनी पकड़ मजबूत कर रही है।

