how much alcohol is legally permitted while driving: अगर ड्राइविंग करते समय आपके खून में शराब की एक निश्चित मात्रा मिलती है तो क्या आप कानून से बच सकते हैं? क्या वाकई ऐसा कोई कानून है जो ड्राइविंग के समय आपके रक्त में एक निश्चित मात्रा में एल्कोहल की अनुमति देता है? अगर है तो खून में एल्कोहल की मात्रा (BAC- blood alcohol content की लिमिट क्या है? और ऐसी स्थिति में अगर आपका एक्सीडेंट हो जाए तो क्या होता है? क्या आप एक्टसीडेंट के वक्त, खून में एल्कोहल की मात्रा होने पर भी बीमा का दावा (Insurance Claim) कर सकते हैं? चलिए आपके ऐसे ही कुछ सवालों के जवाब आज हम आपको बताते हैं।
आज यह समझते हैं कि भारत में नशे में गाड़ी चलाने पर कानून क्या कहता है? जानते हैं फ्यूचर जनरल इंडिया इंश्योरेंस के चीफ डिस्ट्रीब्यूशन ऑफिस, रमित गोयल इससे होने वाले बीमा क्लेम पर क्या बता रहे हैं…
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निजी वाहन चालकों के लिए वैध बीएसी क्या है: What’s legal BAC for private vehicle drivers?
रमित गोयल के मुताबिक, भारत में निजी वाहन चालकों के लिए बीएसी यानी ब्लड एल्कोहल कन्टेन्ट की लिमिट 0.03 प्रतिशत (100ml खून में 30mg एल्कोहल) तय की गई है।
उन्होंने आगे कहा, ”वाणिज्यिक वाहन चालकों की बात करें तो परमिसिबल लिमिट ज़ीरो है जिसका मतलब है कि उनके शरीर में बिल्कुल भी एल्कोहल की मात्रा नहीं मिलनी चाहिए।” अगर आपकी BAC तय की गई लिमिट के हिसाब से है तो तकनीकी रूप से कानून की नजर में आपको शराब के असर में गाड़ी चलाने वाला नहीं माना जाता।
हालांकि, जब मोटर इंश्योरेंस पॉलिसियों की बात आती है, तो भारत में अधिकांश पॉलिसी कंपनियां, चाहें वह कॉम्प्रिहेंसिव या थर्ड-पार्टी हों वे आमतौर पर “प्रभाव में ड्राइविंग” (driving under the influence) क्लॉज शामिल करती हैं।
गोयल स्पष्ट करते हुए बताते हैं, ‘कानून आपको एक निश्चत मात्रा में एल्कोहल की मात्रा की अनुमति देता है, लेकिन इंश्योरेंस कंपनियों ने ऐसा क्लॉज रखा हुआ है जिसमें अगर ड्राइवर को एक्सीडेंट के समय शराब या ड्रग्स के नशे में पाया जाता है तो कवरेज नहीं मिलता।’
यानी भले ही आपके रक्त में BAC लिमिट में एल्कोहल मिले, लेकिन इसके चलते एक्सीडेंट को वजह बनाते हुए इंश्योरेंस कंपनी आपके क्लेम को खारिज करने का दावा कर सकती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि तय की गई लिमिट में भी शराब आपके फैसला लेने की क्षमता, रिएक्शन टाइम को प्रभावित कर सकती है।
मोटर व्हीकल एक्ट, 1988 में इन पेनल्टियों की जानकारी
मोटर व्हीकल एक्ट 1988 में शराब या ड्रग्स के नशे में ड्राइवर के लिए लगने वाली पेनल्टी की जानकारी दी गई है। इनमें जुर्माना, ड्राइविंग लाइसेंस को रद्द करना और गंभीर एक्सीडेंट होने पर जेल तक हो सकती है।
गोयल चेतावनी देते हैं, “अगर पुलिस को पता चलता है कि आप नशे में गाड़ी चला रहे थे, यहां तक कि कानूनी सीमा के नीचे या उससे भी कम, तो यह आपके बीमा क्लेम को प्रभावित कर सकता है।” बीमा कंपनियां अक्सर यह निर्धारित करने के लिए, दुर्घटना स्थल से पुलिस रिपोर्ट और सबूतों की समीक्षा करते हैं कि एक्सीडेंट में शराब वजह थी या नहीं।