दीपक रस्तोगी
अब यह स्पष्ट हो गया है कि केंद्र की मौजूदा सरकार का मुख्य लक्ष्य भारत को पांच अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाना है। एक लाख करोड़ की अर्थव्यवस्था बनने में देश को 55 साल लगे। बीते पांच साल में अर्थव्यवस्था में एक लाख करोड़ डॉलर और जोड़े गए। देश की अर्थव्यवस्था फिलहाल दो अरब डॉलर के आंकड़े को पार कर चुकी है। इस हिसाब से भारत अब विश्व के शीर्ष 10 देशों में शामिल हो गया है, जिनक सकल घरेलु उत्पाद (जीडीपी) एक अरब डॉलर से ज्यादा हो गई है। भारतीय अर्थव्यवस्था फिलहाल करीब 190 लाख करोड़ रुपए की है। डॉलर में बदलने पर इसका औसत मूल्य करीब 2.8 अरब डॉलर बैठता है। इसका मतलब है कि अगले पांच साल में भारतीय अर्थव्यवस्था को लगभग दोगुनी होना होगा। क्या पांच अरब डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य वास्तविक है? भारत इसे कैसे हासिल करेगा? क्या इससे हर भारतीय को लाभ मिलेगा?
मुख्य कारक क्या हैं
दो मुख्य कारक ऐसे हैं, जो भारत की विकास दर के इस लक्ष्य तक पहुंचने को प्रभावित कर सकते हैं। महंगाई दर एवं रुपया और डॉलर की विनिमय दर। महंगाई दर बढ़ने का का अर्थ है कि वस्तुओं के दाम बढ़ेंगे। इससे रुपए की क्रय शक्ति घटेगी, जो उपभोग घटा देगी और जीडीपी दर पर नकारात्मक असर पड़ेगा। भारत में महंगाई (उपभोक्ता मूल्य सूचकांक) नियंत्रित रही है और अगस्त 2018 से चार फीसद के आसपास है। पिछले महीने यह 3.05 फीसद दर्ज की गई। रुपया और डॉलर की विनिमय दर को भी नियंत्रण में रखना होगा। अगर रुपए का मूल्य घटता है तो डॉलर के संदर्भ में यह बुरा असर डालेगा, लेकिन अगर डॉलर के मुकाबले रुपया मजबूत होता है तो लक्ष्य आसान हो जाएगा।
क्या भारत यह लक्ष्य पा लेगा
अगर भारत 12 फीसद (आठ फीसद जीडीपी और चार फीसद मुद्रास्फीति) की रफ्तार से विकास करे तो भारतीय अर्थव्यवस्था 2018 के 2.7 अरब डॉलर के आंकड़े को 2024 में 5.33 अरब डॉलर के आंकड़े को छू सकती है। इस लक्ष्य को पाने के लिए हर क्षेत्र में निवेश बढ़ाने पर जोर देने की जरूरत पड़ेगी। निवेश प्रमुख चालक है जो मांग को चलाता है, क्षमता बनाता है, श्रम उत्पादकता बढ़ाता है और रोजगार पैदा करता है। एनपीए में गिरावट आने का भी फायदा पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिलेगा।
किन बातों पर फोकस
नीति नियंताओं ने उन क्षेत्रों का चयन किया है, जिनमें संसाधन झोंके जाएंगे। चुनिंदा क्षेत्रों में विदेशी प्रत्यक्ष निवेश नियमों को सरल बनाने के प्रस्तावों से अधिक विदेशी पूंजी प्रवाह सुनिश्चित करने में मदद मिलेगी। सरकार ने बजट में विमानन, बीमा, एनिमेशन एवं मीडिया और एकल ब्रांड खुदरा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश नियमों को सरल करने का प्रस्ताव किया है। गांव में उपज के भंडारण के लिए ढांचागत विकास, शहरों में आधुनिक सुविधाओं के निर्माण की योजनाएं हैं। अगले पांच साल में हाईवे, रेलवे, वायु मार्ग, जल मार्ग, डिजिटल ढांचा, गांव में ब्रॉडबैंड की सुविधाओं पर 100 लाख करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा।
158 देशों की कुल अर्थव्यवस्था से बड़ा
भारत की अर्थव्यवस्था 2016-17 में जितनी बढ़ी है, वह विश्व के 158 देशों की कुल जीडीपी से ज्यादा है, जिसमें पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलयेशिया जैसे देश शामिल हैं। 2024-25 तक पांच अरब डॉलर होते ही अमेरिका और चीन के बाद भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। इससे निवेश और रोजगार के संसाधन बढ़ेंगे। राजकोषीय ढांचा मजबूत होगा। कृषि समेत भारतीय उत्पादों का बाजार बढ़ेगा। कंपनियों के पास निवेश करने के लिए ज्यादा पैसा आएगा। उत्पादन बढ़ेगा तो नई नौकरियां भी पैदा होंगी।
हमने भारतीय अर्थव्यवस्था को पांच खरब डॉलर की बनाने के लिए एक रोडमैप तैयार किया है, जिसमें निर्माण, सेवा और कृषि सेक्टर पर विशेष ध्यान देने की तैयारी की गई है। भारत में 2035 तक 10 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था तक पहुंचने की क्षमता है। उत्पादन क्षेत्र को निर्यात बढ़ाना चाहिए। भारत को अफ्रीकी और लातिन अमेरिकी देशों को निर्यात बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए।
– सुरेश प्रभु, पूर्व वाणिज्य मंत्री
आर्थिक वृद्धि की गति बढ़ाने के लिए निजी क्षेत्र का निवेश बढ़ाने पर जोर है वहीं दूसरी तरफ सामाजिक और ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर ध्यान दिया जा रहा है। राजकोषीय मजबूती पर ध्यान है। आर्थिक वृद्धि और रोजगार एक दूसरे से जुड़े होते हैं। आर्थिक मुद्दों पर घोषणाओं के बेहतर क्रियान्वयन से सकारात्मक असर होगा।
-प्रोफेसर एनआर भानुमूर्ति,
अर्थशास्त्री,
राष्ट्रीय लोक वित्त एवं नीति संस्थान
सरकार ने विकास और नौकरी के लिए ब्लू प्रिंट तैयार किया है। संघवाद, व्यय सुधारों, सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमइ), माल और सेवा कर (जीएसटी) के लिए नीतियों और प्रत्यक्ष करों के सुधारों पर सरकार का दृष्टिकोण स्पष्ट है। इससे अर्थव्यवस्था की रफ्तार बढ़ रही है, जिसका लाभ सामने आएगा।
– बिबेक देबरॉय, प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद (ईएसी-पीएम) के अध्यक्ष

