Voter Id Card: कुछ ही महीनों में बिहार में विधानसभा चुनाव हो सकता है। ऐसे में कई लोग जिनका वोटर आईडी नहीं बना है वे नए कार्ड के लिए आवेदन कर रहे हैं तो कई अपने कार्ड को अपडेट करवा रहे हैं। बता दें कि वोटर आईडी कार्ड जरूरी दस्तावेज है, जिसके बिना व्यक्ति वोट नहीं डाल सकता है। लेकिन क्या आप जानते हैं वोटर आईडी कार्ड की शुरुआत कब, कैसे और क्यों हुई? कहां जारी हुआ था देश का पहला आईडी कार्ड? आइए जानते हैं इन सवालों के जवाब…

क्या है वोटर आईडी कार्ड?

यहां एक सरकारी डॉक्यूमेंट है, जो चुनाव में वोटिंग करने का अधिकार देता है। 18 साल की उम्र होने के बाद चुनाव आयोग भारतीय नागरिकों को वोटर आईडी कार्ड जारी करता है।

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वोटर आईडी की शुरुआत कब हुई थी?

मुख्य चुनाव आयुक्त टीएन शेषन (TN Seshan) के कार्यकाल के दौरान साल 1993 में वोटर आईडी कार्ड को पहली बार पेश किया गया था। साल 1962 की अपनी जनरल इलेक्शन रिपोर्ट में चुनाव आयोग ने बताया है कि 1957 के आम चुनाव के बाद कमीशन के पास ये सुझाव आया था कि सभी मतदाताओं को फोटो वाले पहचान पत्र दिए जाएं।

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क्या हुए कानून में बदलाव?

– पहचान पत्र जारी करने के सुझाव को भारत सरकार के पास भेजा गया।
– सरकार ने लोक प्रतिनिधित्व (संशोधन) विधेयक 1958 में फोटो पहचान पत्र जारी करने का प्रावधान कर दिया गया।
– संसद के निचले सदन में 27 नवंबर 1958 को विधेयक पेश किया गया और 30 दिसंबर 1958 को यह विधेयक कानून बन गया।
– 2015 के बाद सरकार ने प्लास्टिक के बने कलर वोटर आईकार्ड की शुरुआत की।
– चुनाव आयोग ने मई 2000 में इलेक्ट्रॉनिक फोटो आइडेंटिटी कार्ड (EPIC) प्रोग्राम के लिए नए नियम जारी किए थे।

यह प्रोजेक्ट पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर हुआ था शुरू

मई 1960 में उपचुनाव के लिए कलकत्ता (दक्षिण पश्चिम) संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं के लिए फोटो पहचान पत्र जारी करने की एक पायलट प्रोजेक्ट की शुरुआत की गई थी। दस महीने तक चले इस पायलट प्रोजेक्ट में कुल मतदाताओं में से केवल 213600 की ही फोटो ली जा सकीं। जिसके बाद केवल 2.10 लाख मतदाताओं को ही फोटो वाले पहचान पत्र दिए जा सके। इस प्रकार आठ में से तीन मतदाताओं को पहचान पत्र उपलब्ध नहीं कराया जा सका। यह आंकड़ा काफी कम था इस कारण ये प्रोजेक्ट सफल नहीं कहा गया।

अकेले कलकत्ता क्षेत्र के लिए प्रोजेक्ट पर करीब 25 लाख रुपये खर्च हुए। यह सफल नहीं हुआ और प्रोजेक्ट लगभग दो दशकों तक स्थगित रहा। सिक्किम में 1979 के विधानसभा चुनावों के दौरान फोटो पहचान पत्र जारी किए गए थे। बाद में इसे असम, मेघालय और नागालैंड जैसे अन्य पूर्वोत्तर राज्यों में लागू किया गया था। अंततः साल 1993 में फोटो पहचान पत्र पेश किए गए। 2021 में चुनाव आयोग ने इलेक्ट्रॉनिक इलेक्टोरल फोटो आइडेंटिटी कार्ड (e-EPIC) लॉन्च किया।