देश में रोजगार और कंपनियों की सही स्थिति का अंदाजा PMI (Purchasing Manager Index) के आंकड़े से लगाया जा सकता है। PMI के मुताबिक भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ माने जाने वाले ‘सर्विस सेक्टर’ में भी नौकरियां कम हो गई हैं। आंकड़ों के मुताबिक मार्च महीने में हायरिंग बीते 6 महीने के सबसे न्यूनतम स्तर पर है। मार्च महीने में करीब 94% कंपनियों ने किसी को भी नई नौकरी पर नहीं रखा है। निक्केई (Nikkei India Services Business Activity Index) में भी फरवरी के मुकाबले मार्च में गिरावट देखी गई है। इस गिरावट से आंकलन किया जा सकता है कि पिछले सितंबर माह से नए कार्यों में कम इजाफा हुआ है।

बिजनस स्टैंडर्ड ने IHS मार्किट के मुख्य अर्थशास्त्री पॉलियाना डी लीमा के हवाले से बताया है, “भारतीय सर्विस सेक्टर की ग्रोथ वित्त वर्ष 2018 के चौथे क्वार्टर में कमजोर पड़ गया। यह सितंबर के बाद से काफी कम था।” सर्विस सेक्टर के अलावा मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में भी परिणाम निराश करने वाले हैं। PMI के आंकड़ों के मुताबिक फैक्टरियों का आउट-पुट भी काफी सुस्त रहा है। ऐसे में सामूहिक तौर पर अगर सभी सेक्टर्स की बात करें तो बीते 6 माह में कोई उत्साह-जनक रफ्तार नहीं देखने को मिली है।

हालांकि, बीते 2 महीने के आंकड़े कुछ उम्मीद जरूर बंधाते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि मार्च में बिजनेस के प्रति उम्मीद ज्यादा बढ़ी है। सर्विस सेक्टर को आगामी दिनों में काफी उम्मीदें हैं। हालांकि, हायरिंग की धीमी रफ्तार से अंदाजा लगाया जा रहा है कि बहुत सारी कंपनियां अभी काम के मसले में टॉप गियर नहीं लगा पाई हैं। इसके लिए बाजार में क्लाइंट द्वारा बकाया पैसों का समय पर भुगतान नहीं करना मुख्य वजहों में से एक बताई जा रही है।