बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को अडानी ग्रुप की कंपनी अडानी पोर्ट्स और स्पेशल इकोनॉमिक जोन लिमिटेड (APSEZL) की ओर दायर की गई याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें नवी मुंबई के जवाहरलाल नेहरू पोर्ट अथॉरिटी (JNPA) पर कंटेनर टर्मिनल को अपग्रेड के लिए लगाई गई अडानी पोर्ट की बोली को जेएनपीए के बोर्ड की ओर से अमान्य घोषित करने के फैसले के खिलाफ अपील की गई थी।

कोर्ट ने याचिका को ‘नॉन – मेरिटोरियस’ बताते हुए रिजेक्ट कर दिया। इसके साथ अडानी पोर्ट को जेएनपीए को 5 लाख देने का भी आदेश दिया। अडानी पोर्ट की ओर से बताया गया कि 4.25 लाख रुपए टेंडर के समय ही जेएनपीए को जमा करा दिए गए हैं, जिसके बाद कोर्ट ने कहा कि बाकी के 75 हजार भी जेएनपीए को दिए जाए। इसके साथ ही हाई कोर्ट की बेंच ने स्टेटस को समान बनाए रखने की अडानी पोर्ट के निवेदन को भी ठुकरा दिया।

बॉम्बे हाई कोर्ट में अडानी पोर्ट की तरफ से डाली गई याचिका में जेएनपीए के बोर्ड के निर्णय को गैरकानूनी, मौलिक और कानूनी अधिकारों का हनन बताया। इसके साथ अडानी पोर्ट ने कोर्ट मांग की थी कि वह जेएनपीए के बोर्ड को निर्देश दे कि मामला कोर्ट में रहने तक टेंडर के लिए सबसे ऊंची बोली लगाने वाले का नाम घोषित नहीं किया जाए। इसके साथ ही किसी भी अन्य बोली लगाने के वाले के साथ कोई भी कॉन्ट्रैक्ट हस्ताक्षर किया जाए।

बता दें, हाईकोर्ट से राहत ना मिलने के बाद अडानी पोर्ट ने इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की है। जेएनपीए के बोर्ड ने एक सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के माध्यम से जवाहरलाल नेहरू पोर्ट कंटेनर टर्मिनल के अपग्रेड, संचालन, रखरखाव और हस्तांतरण के लिए इच्छुक पार्टियों से आवेदन के लिए एक वैश्विक टेंडर निकाला था और यह 30 साल की अवधि के लिए था।

अडानी पोर्ट देश का सबसे बड़ा प्राइवेट पोर्ट ऑपरेटर है। कंपनी की ओर से पूरे देश में कुल 13 पोर्ट और टर्मिनल ऑपरेट किए जा रहे हैं।