अमेरिका में एक निवेशक ने H-1B वीजा से जुड़े दावे करके एक नई बहस को जन् दे दिया है। अमेरिकी निवेशक ने दावा किया है कि अधिकतर H1-B वीजा होल्डर अच्छी सैलरी वाली नौकरियां कर रहे हैं जबकि उनकी स्किल ‘नकली’ हैं। यह टिप्पणी डोनाल्ड ट्रंप के नेतृत्व वाले प्रशासन से प्रोग्राम को कम करने या खत्म करने की बढ़ती मांग के बीच आई है, जो विभिन्न नौकरियों के लिए कुशल विदेशी वर्कर्स को अमेरिका में प्रवेश की अनुमति देता है।

लॉरेन बालिक (Lauren Balik) ने X पर लिखा, “मैंने नौकरी के साक्षात्कारों में लोगों से सचमुच यह हल करवाया है: ‘5(x) + 2 = 12, x क्या है?’ और ज्यादातर लोग इसे हल करने में असफल हो जाते हैं। सीएमओ, डेटा इंजीनियर, विश्लेषक आदि। यह सब एक बड़ा मेक-वर्क प्रोग्राम है, जिसमें हम 1970 के दशक में रिलेशनल डेटाबेस जारी होने के बाद से शामिल हैं। सभी एच-1बी वीजाधारक हर बार विफल हो जाते हैं, लेकिन कथित तौर पर वे दुनिया के गणित और डेटाबेस और आईटी विशेषज्ञ हैं और कथित तौर पर यह ‘skilled’ रोजगार है।

उन्होंने यह भी दावा किया कि उन्होंने लोगों पर यह टेस्ट ‘कई बार’ किया है और जोर देकर कहा कि जो लोग उत्तर दे सकते हैं वे अमेरिका में प्रति वर्ष 100,000 डॉलर या उससे अधिक कमाने के लिए तैयार हैं। बालिक ने H-1B वीजा धारकों के लिए जरूरी जॉब एक्सपीरियंस पर भी सवाल उठाए और दावा किया कि इनमें से कई वर्कर्स के पास मास्टर डिग्री थी जो एक ‘रियल प्रोग्राम’ से नहीं थी।

उन्होंने आगे लिखा, ‘वे लोग साधारण सा बीजगणित (algebra) हल नहीं कर सकते। ऐसा इसलिए है क्योंकि इनमें से ज्यादातर नौकरियां UBI और फर्जी हैं। और अगर वे यूबीआई हैं तो हम अमेरिकी, गैर-नागरिकों को यूबीआई की आउटसोर्सिंग क्यों कर रहे हैं? मेरे पास एक एक्स-गूगल कर्मचारी भी थी जो इसे हल नहीं कर सका और उसे टॉप 1 प्रतिशत, एक लीजेंड बताया गया था।’

ऐसा गता है कि ट्रंप प्रशासन का वीजा प्रोग्राम को लेकर मिलाजुला नजरिया है। कई प्रमुख लोग गंभीर प्रतिबंधों पर जोर दे रहे हैं जबकि Tesla के सीईओ एलन मस्क समेत कुछ अन्य लोग इस सिस्टम को बरकरार रखने पर जोर दे रहे हैं। ऐसा लगता है कि डोनाल्ड ट्रंप ने इसे ‘सस्ता श्रम प्रोग्राम (Cheap Labour Program)’ कहने और 2016 में ‘हमेशा के लिए’ खत्म करने की कसम खाने के बाद खुद पिछले एक दशक में खुद अपना मन बदल लिया है।

2024 में अमेरिकी राष्ट्रपति पद जीतने के तुरंत बाद उन्होंने जोर देकर कहा, “मेरी संपत्तियों पर कई एच-1बी वीजा हैं। मैं एच-1बी में विश्वास रखता हूं। मैंने इसे कई बार इस्तेमाल किया है। यह एक शानदार कार्यक्रम है।”

उन्होंने दावा किया कि विपक्ष लगातार इस प्रोग्राम के बारे में गलत सूचना फैला रहा है और उसके नेताओं को या तो प्रशासनिक मामलों की कम समझ है या योजना की सफलता से उनके मनोबल को ठेस पहुंची है।

हर तरह के राजनेताओं ने हाल के सालों में स्पेशलाइज्ड वीजा प्रोग्राम को सख्त करने की बात कही है। ताकि अमेरिकी श्रमिकों को हाशिए पर जाने से बचाया जा सके। नए H-1B वीजा (लॉटरी सिस्टम के जरिए डिस्ट्रीब्यूशन) का सालाना कोटा मौजूदा समय में 85,000 तक सीमित है। इनमें से दो-तिहाई से ज्यादा जरूरी दस्तावेज़ हर साल टेक कर्मचारियों के पास जाते हैं, जिनमें से लगभग 72% H-1B वीज़ा भारतीयों को मिलते हैं।