गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (जीएसटी) अथॉरिटी ने मंगलवार को 1000 करोड़ का जीएसटी घोटाले को अंजाम देने वाले रैकेट का भांडोफोड़ किया। अधिकारियों के मुताबिक यह रैकट बिना बिल के वस्तुओं की आपूर्ति में कर रहा था।
वित्त मंत्रालय ने एक बयान जारी कर बताया ‘आरोपियों को 10 फर्जी फर्मों का संचालन करते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया। इन फर्मों को पैसे के रोटेशन और धोखाधड़ी वाले इनपुट टैक्स क्रेडिट (आईटीसी) के लिए बनाया गया था। इन फर्मों के जरिए ही सरकारी खजाने को खाली किया जा रहा था।’
बयान में कहा गया है कि प्रथम दृष्टि में कुल 1,040 करोड़ रुपए राशि के बिलों को दिखाकर 140 करोड़ रुपए की इनपुट टैक्स क्रेडिट की धोखाधड़ी की गई। मामले में एक आरोपी को गिरफ्तार किया जा चुका है और उसे 14 दिनों की न्यायिक हिरासत के लिए भेज दिया गया है।
वित्त मंत्रालय के मुताबिक आरोपी फर्जी फर्मों के दस्तावेजों का उपयोग करके फर्जी फर्मों का जीएसटी पंजीकरण प्राप्त करते थे। इतना करने के बाद दिल्ली स्थित तिलक बाजार में एक जगह से इन फर्मों के इनवॉयस और ई-वे बिल बनाते थे। प्रारंभिक जांच में यह प्रतीत होता है कि संबंधित फर्मों के द्वारा जनरेट किए गए इनवार्ड एवं आउटवार्ड ई-वे बिल के बीच कोई लिंक नहीं है। उक्त फर्जी फर्मों ने आईटीसी को फर्जी तरीके से पास किया है, जो खरीदारों की एक ऐसी श्रेणी से बाहर निकल चुके हैं, जो बाहरी आपूर्ति पर अपनी जीएसटी देयता का निर्वहन करती हैं।
आरोपी को केंद्रीय अधिनियम 2017 के विभिन्न प्रावधानों के तहत सोमवार को गिरफ्तार किया गया था, जो कि संज्ञेय और गैर-जमानती हैं। इसके बाद अदालत ने उसे मंगलवार को 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया।