GST Reforms: जीएसटी दरों में बदलाव करने के लिए गठित मंत्रिसमूह (जीओएम) ने केंद्र के 5 व 18 प्रतिशत के दो ‘स्लैब’ वाले जीएसटी के प्रस्ताव को स्वीकार किया। मंत्रिसमूह ने 12 और 28 प्रतिशत कर दरों (tax rates) को समाप्त करने के केंद्र के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया। बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने यह जानकारी दी।
GoM में शामिल पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि अल्ट्रा-लग्जरी कारों पर 40 प्रतिशत जीएसटी दर के अलावा शुल्क लगाया जाना चाहिए।
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GoM में कौन-कौन शामिल है?
बिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी छह सदस्यीय मंत्री समूह के संयोजक हैं। अन्य सदस्यों में उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह, पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य, कर्नाटक के राजस्व मंत्री कृष्ण बायरे गौड़ा और केरल के वित्त मंत्री के. एन. बालगोपाल शामिल हैं।
मंत्रिसमूह के संयोजक सम्राट चौधरी ने कहा कि छह सदस्यीय राज्य मंत्रिसमूह ने 12 और 28 प्रतिशत की स्लैब हटाने के प्रस्ताव को भी स्वीकार कर लिया है। चौधरी ने मंत्रिसमूह की बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘दरों को युक्तिसंगत बनाने पर गठित मंत्रिसमूह ने केंद्र के दोनों प्रस्तावों को स्वीकार कर लिया है।’’
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उत्तर प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना ने कहा कि केंद्र के प्रस्ताव में विलासिता और समाज के नजरिये अहितकर वस्तुओं पर 40 प्रतिशत कर लगाना भी शामिल है। पश्चिम बंगाल की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा कि उनके राज्य ने 40 प्रतिशत जीएसटी दर के ऊपर एक अतिरिक्त कर लगाने का प्रस्ताव रखा है ताकि कार जैसी विलासिता और समाज के नजरिये से अहितकर वस्तुओं पर वर्तमान कराधान बना रहे। भट्टाचार्य ने कहा कि केंद्र के प्रस्ताव में नए जीएसटी स्लैब के लागू होने के बाद केंद्र और राज्यों को होने वाले राजस्व नुकसान का उल्लेख नहीं है।
वर्तमान में, माल एवं सेवा कर (जीएसटी) की चार स्तरीय संरचना… 5, 12, 18 और 28 प्रतिशत है। खाद्य पदार्थों पर या तो शून्य या पांच प्रतिशत कर लगता है, जबकि विलासिता और अहितकर वस्तुओं पर 28 प्रतिशत कर लगता है। ऐसी वस्तुओं पर 28 प्रतिशत जीएसटी के अलावा, कार जैसी विलासिता और अहितकर वस्तुओं पर उपकर लगाया जाता है।
आपको बता दें कि केंद्र ने वस्तुओं को ‘गुण’ और ‘मानक’ श्रेणी में वर्गीकृत करते हुए पांच और 18 प्रतिशत की दो-स्लैब का प्रस्ताव किया है। इस वर्गीकरण में अपनाए गए व्यापक सिद्धांत का उद्देश्य मध्यम वर्ग, एमएसएमई और कृषि क्षेत्र पर कर का बोझ कम करना है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने जीएसटी परिषद द्वारा क्षतिपूर्ति उपकर, स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा, तथा दर युक्तिकरण पर जीएसटी परिषद द्वारा गठित मंत्रिसमूह (जीओएम) से बुधवार को कहा था, ‘‘ दरों को युक्तिसंगत बनाने से आम आदमी, किसानों, मध्यम वर्ग एवं और सूक्ष्म, लघु एवं मझोले उद्यम (एमएसएमई) को अधिक राहत मिलेगी। साथ ही एक सरलीकृत, पारदर्शी और विकासोन्मुखी कर व्यवस्था सुनिश्चित होगी।’’
बीमा पर मंत्री समूह की बुधवार शाम बैठक हुई और व्यक्तिगत स्वास्थ्य एवं जीवन बीमा पॉलिसियों पर जीएसटी छूट देने के केंद्र के प्रस्ताव पर चर्चा हुई। व्यक्तिगत बीमा पॉलिसी पर जीएसटी छूट दिए जाने से सालाना करीब 9,700 करोड़ रुपये की राजस्व क्षति होने का अनुमान है। हालांकि अधिकतर राज्य इस पर सहमत थे।
राज्यों ने इस बात पर भी जोर दिया कि जीएसटी परिषद को एक ऐसी व्यवस्था बनानी चाहिए जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि जीएसटी कटौती का लाभ पॉलिसी धारकों तक पहुंचे। मौजूदा समय में पांच, 12, 18 और 28 प्रतिशत की दर से जीएसटी लगाया जाता है। खाद्य एवं आवश्यक वस्तुओं पर शून्य या पांच प्रतिशत कर लगता है। वहीं विलासिता एवं अहितकर वस्तुओं पर 28 प्रतिशत की दर से कर लगता है, जिसके ऊपर उपकर भी लगता है।