सरकार को तंबाकू पर एफडीआई नीति में सभी खामियों को तत्काल दूर करने और इस पर व्यापक प्रतिबंध लगाने की आवश्यकता है। साथ ही यह सुनिश्चित करने की जरूरत है इसे हल्का करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जाए। गैर-सरकारी संगठन क्रुसेड एगेंन्स्ट टोबैको (सीएट) ने यह बात कही है। तंबाकू क्षेत्र में पूर्ण रूप से एफडीआई प्रतिबंध को लेकर नीति आयोग की चिंता पर प्रतिक्रिया जताते हुए सीएटी ने यह भी कहा कि मौजूदा नीति केवल आंशिक रूप से क्षेत्र में एफडीआई पर प्रतिबंध लगाता है और यह विदेशी तंबाकू कंपनियों को अपने वैश्विक सिगरेट ब्रांडों को भारत में प्रोत्साहित करने के लिए धन लगाने के नए-नए तरीके अपनाने से रोकने निष्प्रभावी है।
सीएटी के चेयरमैन विंसेट नजारेथ ने कहा, ‘स्वास्थ्य से जुड़े गैर-सरकारी संगठनों तथा स्वास्थ्य मंत्रालय के बीच इस बात को लेकर आम सहमति है कि देश में तंबाकू की खपत कम करने के लिए साहसिक कदम उठाने की जरूरत है। तंबाकू नियंत्रण नीतियों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराने को लेकर तंबाकू क्षेत्र में एफडीआई पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध पूर्व शर्त है।’
प्रधानमंत्री कार्यालय, वित्त तथा वाणिज्य मंत्रालय को लिखे पत्र में सीएट के चेयरमैन ने कहा है कि मौजूदा नीति में सिगरेट विनिर्माण में एफडीआई पर प्रतिबंध जरूर लगाया गया है लेकिन इसमें कुछ ऐसी कमियां छोड़ दी गयी हैं जिनका दुरुपयोग किया जा रहा है। उन्होंने कहा, ‘इन खामियों की वजह से बड़ी विदेशी तंबाकू कंपनियों की भारतीय तंबाकू बाजार में रुचि बनी हुई है। इससे उनको भारत में तंबाकू नियंत्रण के प्रयासों को धीमा कराने के लिए समर्थन जुटाने का प्रयास जारी रखने का मौका मिलता है।’ पत्र में केंद्र से तंबाकू के मामले में एफडीआई नीति में खामियों को तत्काल दूर करने का अनुरोध किया गया है ताकि व्यापक रूप से प्रतिबंध सुनिश्चित हो सके।