कैशलेस इकोनॉमी (कम नकदी वाली अर्थव्यवस्था) को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार जल्द ही उपभोक्ताओं को राहत देने वाली है। सरकार ने कहा कि वह डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ट और नेट बैंकिंग पर वसूले जाने वाले सभी पेमेंट्स का ट्रांजेक्शन कॉस्ट खुद उठाएगी। वर्तमान में ट्रांजेक्शन कॉस्ट/लागत सौदा या एमडीआर (Merchant Discount Rate) के नाम से पहचाना जाने वाला पेमेंट कस्टमर खुद उठाता है।

इसे लेकर वित्त मंत्रालय ने मेमोरेंडम जारी किया है। मेमोरेंडम में कहा गया है कि सरकारी विभाग, दूसरे मर्चेंट्स की तरह एमडीआर लागत को उठाने के लिए उचित कदम उठाएं। कहा गया है कि डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड या किसी डिजिटल तरीके से सरकार को भुगतान के लिए आने वाली एमडीआर लागत का वहन किसी भी तरह जनता को नहीं करना चाहिए। इसमें कहा गया है कि डेबिट, क्रेडिट कार्डों या डिजिटल तरीके से इस तरह के भुगतान पर लेनदेन के लिए इंटरमीडियरीज को किए जाने वाले भुगतान का तौर तरीका तय किया जा रहा है। इस बारे में विस्तृत दिशा-निर्देश उचित समय पर जारी किए जाएंगे।

सरकारी पेमेंट्स और क्लेकशन में क्रेडिट/डिजीटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा देने की पहल के तहत वित्त मंत्रालय ने यह सरकुलर जारी किया है। सरकार डिपार्टमेंट ऑफ इंवेस्टमेंट और पब्लिक एसेट मैनेजमेंट के सेक्रेटरी नीरज गुप्ता के अंडर में एक टास्क फोर्स का गठन करेगी। 2012 में रिजर्व बैंक ने डेबिट कार्ड से दो हजार तक का ट्रांजेक्शन करने पर MDR 0.75 पर्सेंट लगाया था और उससे ऊपर ट्रांजेक्शन करने पर 1 पर्सेंट एमडीआर लगाया था। क्रेडिट कार्ड के पेमेंट्स पर कोई एमडीआर आरबीआई की ओर से नहीं लगाया गया है। अक्टूबर 2015 में देश में 61.5 करोड़ डेबिट कार्ड यूजर और 2.3 करोड़ क्रेडिट कार्ड होल्डर थे।