भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) द्वारा जारी कई सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड (SGB) की किस्तें हाल ही में मैच्योर हुई हैं या इस अक्टूबर में समय से पहले रिडीमशन के योग्य हो गई हैं। इससे एसजीबी के निवेशक काफी खुश है। इन रिडीमशन ने 325% तक का शानदार रिटर्न दिया है। हालांकि, कई निवेशक इस बात से अनजान हैं कि इन बॉन्ड पर टैक्स कैसे लगता है। यहां हम आपको उसी की जानकारी दे रहे हैं…
एसजीबी के अक्टूबर में किए गए रिडेम्प्शन से बेहतर लाभ होंगे प्राप्त
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने इस महीने कई एसजीबी सीरीज के लिए रिडेम्प्शन की कीमतों की घोषणा की है –
SGB 2017-18 सीरीज IV (23 अक्टूबर, 2017 को जारी): इन सीरीज के बॉन्ड हाल ही में 8 वर्ष पूरे होने के बाद रिडेम्प्शन के लिए खोले गए हैं। यह बॉन्ड मूल रूप से 2,987 रुपये प्रति ग्राम की दर से जारी किया गया था और 12,704 रुपये प्रति ग्राम की दर से रिडीम किया गया था, जिससे निवेशकों को केवल 8 वर्षों में 325% का पूर्ण रिवार्ड प्राप्त हुआ। इसके अतिरिक्त, निवेशकों को 2.5% का वार्षिक ब्याज भी प्राप्त हुआ।
एसजीबी 2017-18 सीरीज V (30 अक्टूबर, 2017 को जारी): इस किस्त की 8 वर्ष की मैच्योरिटी अवधि 30 अक्टूबर, 2025 को पूरी हुई। जिन निवेशकों ने इसे मैच्योरिटी तक धारण किया, उन्हें 2,971 रुपये के इश्यू प्राइस की तुलना में 11,992 रुपये प्रति ग्राम का रिडीमशन प्राइस प्राप्त हुआ, जिससे उन्हें 303% से ज्यादा का लाभ हुआ।
एसजीबी 2018-19 सीरीज II (15 अक्टूबर, 2018 को जारी): इस किस्त को भी इसी महीने अर्ली रिडीमशन की अनुमति दी गई, जिससे निवेशकों को लगभग 304% रिवार्ड प्राप्त हुआ।
एसजीबी 2019-20 सीरीज VI (30 अक्टूबर, 2019 को जारी): यह सीरीज इसी महीने की इसी डेट को पांच साल बाद प्रीमेच्योर रिडीमशन के लिए पात्र हो गई। आरबीआई ने लगभग 3,785 रुपये के इश्यू प्राइस के मुकाबले रिडीमशन प्राइस फिर से 11,992 रुपये प्रति ग्राम तय किया, जिससे लगभग 217% का रिटर्न मिला।
एसजीबी 2020-21 सीरीज I (28 अक्टूबर, 2020 को जारी): 28 अक्टूबर, 2025 को अर्ली रिडीमशन के लिए पात्र, निवेशकों को 4,589 रुपये के इश्यू प्राइस की तुलना में 12,198 रुपये प्रति ग्राम प्राप्त हुए – जिससे पांच वर्षों में 166% का लाभ हुआ।
ये आंकड़े सोने की कीमतों में भारी उछाल को दर्शाते हैं। पिछले 5 वर्षों में, सोने (24 कैरेट) की कीमतों में 149% से अधिक की वृद्धि हुई है। सोने में 2 साल और 3 साल का रिटर्न क्रमशः 138% और 115% के साथ और भी बेहतर रहा है।
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जानें कितना देना होगा आपको टैक्स?
अगर आप बॉन्ड को मैच्योरिटी (8 वर्ष) तक रखते हैं और इसे सीधे RBI से रिडीम करते हैं, तो आपका पूंजीगत लाभ पूरी तरह से टैक्स-फ्री होता है। सोने की कीमत में वृद्धि से होने वाले लाभ पर आपको कोई टैक्स नहीं देना पड़ता है।
यदि आप RBI के जरिए जल्दी भुनाते हैं (5 वर्ष बाद), तो आपका पूंजीगत लाभ टैक्स-फ्री रहता है। हालांकि, यदि आप रिडेम्पशन से पहले स्टॉक एक्सचेंज में बॉन्ड बेचते हैं, तो टैक्स लागू होता है। यदि 12 महीनों के भीतर बेचा जाता है, तो लाभ अल्पकालिक होता है और आपकी आय स्लैब के अनुसार टैक्स लगाया जाता है।
यदि 12 महीनों के बाद बेचा जाता है, तो यह दीर्घकालिक होता है और बिना इंडेक्सेशन के 12.5% की दर से टैक्स लगाया जाता है (बजट 2024 में शुरू की गई नई पूंजीगत लाभ व्यवस्था के अनुसार)।
एसजीबी पर अर्जित 2.5% वार्षिक ब्याज हमेशा “अन्य स्रोतों से आय” के रूप में टैक्स योग्य होता है और इसे आयकर रिटर्न फाइल करते समय रिपोर्ट करना आवश्यक है। जारीकर्ता प्राधिकारी द्वारा कोई टीडीएस नहीं काटा जाता है, लेकिन निवेशक को देय कर का भुगतान करना होगा।
