उद्योगपति हर्ष गोयनका के एक ट्वीट ने निवेशकों और सोशल मीडिया यूजर्स दोनों का ध्यान खींच लिया है। कारोबारी ने पिछले तीन दशकों में सोने के बढ़ते मूल्य को बेहद दिलचस्प अंदाज़ में पेश किया। उनकी पोस्ट के अनुसार, 1990 में एक किलो सोने की कीमत मारुति 800 की कीमत जितनी थी जबकि साल 2010 में एक किलो सोने का दाम BMW X1 की कीमत के बराबर हो गया। उन्होंने 1990 से 2025 के बीच समय-समय पर सोने के भाव को मजेदार अंदाज में पेश किया। ट्वीट के आखिर में एक चेतावनी भरे लेकिन मजेदार लहजे में उन्होंने लिखा कि 1 किलो सोना संभालकर रखो।

हर्ष गोयनका ने साल 1990 से 2025 तक 1 किलो सोने के लगातार बढ़ रहे दाम के बारे में बताया है…

1990: 1 किलो सोना = मारुति 800

2000: 1 किलो सोना = एस्टिम (Esteem)

2005: 1 किलो सोना = इनोवा

2010: 1 किलो सोना = फॉर्च्यूनर (Fortuner)

2019: 1 किलो सोना = बीएमडब्ल्यू एक्स1 (BMW X1)

2025: 1 किलो सोना = लैंड रोवर (Land Rover)

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उन्होंने ट्वीट के अंत में एक चेतावनी भरे लेकिन मज़ेदार लहजे में लिखा, “सीख: 1 किलो सोना संभालकर रखो- 2030 में ये रोल्स रॉयस के बराबर हो सकता है और 2040 में एक प्राइवेट जेट के!”

पोस्ट पर आए मजेदार रिएक्शन और छिड़ी बहस

हर्ष गोयनका के इस ट्वीट के बाद नेटिज़न्स में जमकर बहस छिड़ गई और लोगों ने सोने में निवेश के बारे में अलग-अलग राय रखी।

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एक यूज़र ने मज़ाकिया अंदाज़ में लिखा, “जिस तरह सोने में यूफोरिया चल रहा है वो फिर से BMW के स्तर तक पहुंच सकता है। मार्केट में कोई भी कहानी जो सबको पता हो और हर जगह दिख रही हो, वो अब कहानी नहीं रहती। उम्मीद है कि गोल्ड पार्टी में लोग एग्ज़िट गेट के पास ही डांस कर रहे होंगे।”

एक अन्य यूज़र ने सोने की संभावनाओं को काव्यात्मक अंदाज़ में बयां किया, “सोने में निवेश करो, यह हमेशा बुद्धिमानों की सलाह है। मारुति से BMW तक यह रास्ता बनाता है। आज के सिक्के, कल रोल्स, और जेट्स भी नज़र में, इसे कसकर पकड़ो, रात को चैन से सोओ। आज सोना, कल साम्राज्य, यही तुम्हारा भविष्य है।”

कुछ यूज़र्स ने सोने के प्रतीकात्मक महत्व को सिर्फ़ संपत्ति से आगे बताते हुए कहा, “लगता है 1 किलो सोना केवल संपत्ति नहीं है, यह हर दशक में बढ़ते सपनों का टिकट है!”

वहीं, एक अन्य यूज़र ने भविष्यवादी और मज़ाकिया अंदाज़ में कहा, “साल 2100 में, 1 किलो सोना CEAT टायर्स के मार्केट कैप का 10% हो सकता है।”

यह चर्चा दिखाती है कि सोना न केवल मुद्रास्फीति के खिलाफ टिकाऊ निवेश के रूप में आकर्षक है। बल्कि निवेशकों के बीच इसके लॉन्ग-टर्म खरीद क्षमता पर मज़ेदार और कल्पनाशील अंदाज़ में विचार-विमर्श भी हो रहा है। जहां कुछ लोग इसे सुरक्षित निवेश मानते हैं, वहीं अन्य लोगों ने बढ़ती सोने की कीमतों के साथ अक्सर जुड़ी यूफोरिक मार्केट सेंटिमेंट के प्रति चेतावनी भी दी है।