प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने के मकसद से शुरू की गई गरीब कल्याण रोजगार अभियान स्कीम के दायरे को बढ़ाया जा सकता है। केंद्र सरकार ने इसके संकेत दिए हैं। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि यदि योजना के विस्तार की जरूरत लगती है तो ऐसा किया जाएगा। इस योजना में शामिल न किए जाने पर पश्चिम बंगाल ने विरोध दर्ज कराया है। अधिकारियों ने पश्चिम बंगाल के विरोध को लेकर सीधे तौर पर कुछ न कहते हुए कहा कि यदि इस योजना को कुछ और जिलों में लागू करने की जरूरत महसूस होती है तो ऐसा किया जाएगा। बता दें कि पश्चिम बंगाल सरकार ने इस स्कीम में शामिल न किए जाने को लेकर केंद्र सरकार पर पक्षपात करने का आरोप लगाया है।

अधिकारियों का कहना है कि इस स्कीम में कई राज्यों ने अपने कुछ जिलों को जोड़ने की मांग की है। कुछ सप्ताह तक स्कीम चलने के बाद आकलन किया जाएगा और अन्य जिलों को भी जोड़ा जा सकता है। 20 जून को गरीब कल्याण रोजगार अभियान की लॉन्चिंग की गई है। इसके तहत देश के 6 राज्यों के 116 जिलों में प्रवासी मजदूरों को 125 दिनों का रोजगार दिया जाएगा।

इसके तहत मजदूरों से 25 तरह के अलग-अलग काम कराए जाएंगे। केंद्र सरकार के 12 मंत्रालय ने समन्वय किया है, जिनमें रेलवे, ग्रामीण विकास मंत्रालय और कृषि मंत्रालय समेत कई विभाग शामिल हैं। इस स्कीम के तहत उन जिलों को शामिल किया गया है, जहां 25,000 से ज्यादा प्रवासी मजदूरों ने वापसी की है। इनमें बिहार के 32, उत्तर प्रदेश के 31, झारखंड के 3, मध्य प्रदेश के 24 जिले शामिल हैं।

बड़े पैमाने पर प्रवासी मजदूरों की शहरों से वापसी के बाद मनरेगा योजना के तहत काम की मांग बढ़ गई है। ऐसे में सरकार ने मजदूरों के बीच रोजगार की समस्या को हल करने के मकसद से इस योजना को शुरू करने का फैसला लिया है। लॉकडाउन लागू होने के बाद से लाखों मजदूरों ने अपने गांवों की ओर पलायन किया है, जिसके चलते बेरोजगारी की दर 31 पर्सेंट तक हो गई थी। हालांकि 1 जून से लॉकडाउन में ढील देने के बाद से बेरोजगारी की दर एक बार फिर लॉकडाउन से पहले के लेवल पर पहुंच गई है।