सरकार का चावल के एक्सपोर्ट को लेकर कोई प्लान नहीं है। सोमवार को खाद्य मंत्रालय के शीर्ष अधिकारी ने कहा कि दुनिया के सबसे बड़े चावल निर्यातक भारत के पास चावल का पर्याप्त भंडार है और निर्यात को प्रतिबंधित करने की कोई योजना नहीं है। गेहूं और चीनी पर निर्यात प्रतिबंधों के बाद अनुमान लगाया था कि चावल के एक्सपोर्ट पर रोक लगा दी गई है।
भारत ने पिछले महीने एक आश्चर्यजनक कदम में गेहूं के निर्यात पर रोम लगा दी थी। खाद्य सचिव सुधांशु पांडे ने एक सवाल के जवाब में कहा कि हमारे पास चावल का पर्याप्त भंडार है, इसलिए इस पर विचार करने की कोई योजना नहीं है। उन्होंने कहा कि चावल का स्टॉक भी है और चावल का उत्पादन भी अच्छा है। चावल के निर्यात पर प्रतिबंध की बातें महज अटकलें हैं, ऐसी कोई योजना नहीं है।
गौरतलब है कि भारत ने 13 मई को गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था और आगामी त्योहारी सीजन के दौरान मांग में वृद्धि की आशंका को देखते हुए 1 जून से चीनी के निर्यात को 100 लाख मीट्रिक टन (एलएमटी) पर सीमित कर दिया था।
महंगाई में हुई बढ़ोतरी
इस फैसले के बाद मध्यम और निम्न वर्ग के घरों में महंगाई में बढ़ोतरी हुई है। जहां खुदरा महंगाई आठ साल में अपने उच्चतम स्तर पर पहुंच गई, वहीं अप्रैल में खाद्य महंगाई दर रिकॉर्ड 8.38% पर पहुंच गई। हालाकि मई में इस दर में गिरावट आई है।
क्या कहती है विश्व बैंक की रिपोर्ट
विश्व बैंक ने हाल ही में पेश की गई एक रिपोर्ट में कहा कि निर्यात और आयात प्रतिबंधों से बचना भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि इससे वस्तुओं के कीमत में बढ़ोतरी हो सकती है। रिपोर्ट के अनुसार, प्रमुख खाद्य और ऊर्जा वस्तुओं की आपूर्ति को बढ़ावा देना आवश्यक है। इससे इनकी कीमतों में और महंगाई में बढ़ोतरी की उम्मीदों को कम करने में मदद मिलेगी। रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि सबसे गरीब देशों में खाद्य संकट के सबसे बड़े जोखिम में, सामाजिक सुरक्षा जाल को मजबूत किया जाना चाहिए।
यूक्रेन-रसिया युद्ध का असर
यूक्रेन में युद्ध ने उच्च वस्तुओं की कीमतों को जन्म दिया है, आपूर्ति में कमी के कारण, खाद्य असुरक्षा और गरीबी में बढ़ोतरी, मुद्रास्फीति में वृद्धि, और सख्त वित्तीय स्थितियों में योगदान दिया है। विश्व बैंक ने कहा कि इस साल उभरते बाजार और विकासशील अर्थव्यवस्थाओं (ईएमडीई) में वृद्धि को घटाकर 3.4 फीसदी कर दिया गया है।