Petrol Diesel Under GST: पेट्रोल, डीजल की बढ़ती कीमतों के बीच वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने एक अहम बयान दिया है।
क्या कहा निर्मला सीतारमण ने: निर्मला सीतारमण ने कहा कि माल एवं सेवाकर (जीएसटी) काउंसिल की अगली बैठक में पेट्रोल, डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने के सुझाव पर चर्चा करने को लेकर उन्हें प्रसन्नता होगी। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि पेट्रोल, डीजल पर केंद्र के साथ-साथ राज्यों में भी टैक्स लगाया जाता है।
वहीं केंद्र सरकार अपने टैक्स कलेक्शन में से राज्यों को भी उनका हिस्सा देती है। आपको बता दें कि जीएसटी के मामले में जीएसटी काउंसिल सर्वोच्च नीति निर्णय लेने वाली संस्था है। वित्त मंत्री जीएसटी काउंसिल का नेतृत्व करतीं हैं जबकि राज्यों के वित्त मंत्री इसके सदस्य हैं।
पेट्रोल और डीजल पर टैक्स का गणित: पेट्रोल, डीजल पर केंद्र की ओर से उत्पाद शुल्क और राज्यों में वैट लगाया जाता है। ये दोनों इनकी कीमत में आधे से अधिक का योगदान रखते हैं। उदाहरण के तौर पर दिल्ली में पेट्रोल के 91.17 रुपये प्रति लीटर के दाम में टैक्सेस का हिस्सा 60 प्रतिशत तक है। इसमें उत्पाद शुल्क का योगदान 36 प्रतिशत तक है। वहीं दिल्ली में डीजल के 81.47 रुपये प्रति लीटर के दाम में 53 प्रतिशत हिस्सा टैक्स का है। डीजल के खुदरा मूल्य में 39 प्रतिशत तक हिस्सा उत्पाद शुल्क का है।
लंबे समय से चल रही मांग: पेट्रोल और डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने को लेकर लंबे समय से मांग चल रही है। इसकी मांग खुद पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान भी कर चुके हैं। हालांकि, अब तक जीएसटी काउंसिल में इसकी चर्चा नहीं हुई है। देश में पेट्रोल, डीजल के दाम अब तक के सबसे उच्चस्तर पर होने की वजह से सरकार अब इसे जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार कर रही है।
जीएसटी के दायरे में लाने का फायदा क्या: अगर पेट्रोल और डीजल की कीमतें जीएसटी के दायरे में आ जाती हैं तो इनकी कीमतों में बड़ी गिरावट आ सकती है। एसबीआई की इकोनॉमिक रिसर्च डिपार्टमेंट की एक रिपोर्ट के मुताबिक अगर जीएसटी के दायरे में पेट्रोलियम प्रोडक्ट्स को लाया गया तो देश भर में पेट्रोल के भाव लुढ़क कर 75 रुपये और डीजल के भाव 68 रुपये प्रति लीटर तक पहुंच जाएंगे। हालांकि, इससे केंद्र और राज्यों को राजस्व में जीडीपी के 0.4 फीसदी के बराबर करीब 1 लाख करोड़ की कमी आएगी।