दालों के दामों में हुई बेतहाशा बढ़ोतरी के बीच सरकार ने कीमतों पर अंकुश लगाने के उपायों की घोषणा करते हुए आयात बढ़ाने, मूल्य स्थिरीकरण कोष के इस्तेमाल करने और बफर स्टॉक बनाने की बात कही।
वित्त मंत्री अरुण जेटली की अध्यक्षता में अंतर-मंत्रालयी समूह ने घरेलू बाजार में मूल्य स्थिति की समीक्षा की। देश भर के खुदरा बाजारों में दालों की कीमत 187 से 190 रुपये किलो तक पहुंच गई है।
जेटली ने कहा कि सरकार ने 500 करोड़ रुपये के मूल्य स्थिरीकरण कोष के इस्तेमाल का निर्णय किया है। इसका उपयोग दालों के परिवहन, रख-रखाव, मिलिंग और प्रसंस्करण के लिये किया जाएगा ताकि आयातित दालों की लागत में कमी लाई जा सके।
इससे आपूर्ति बढ़ाने और कम कीमत पर खुदरा बाजार में दाल उपलब्ध कराने में मदद मिलेगी। साथ ही राज्यों से मुंबई के समीप जवाहरलाल नेहरू बंदरगाह समेत अन्य बंदरगाहों पर पड़े दाल भंडार को उठाने के लिये कहा है।
जेटली ने कहा कि आपूर्ति बाधाओं से निपटने के लिये सरकार ने मुख्य रूप से आयात के जरिये दालों का बफर स्टॉक तैयार करने का निर्णय किया है।
अंतर-मंत्रालयी समूह की बैठक के बाद उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘जेएनपीटी पर कुछ भंडार उपलब्ध होने को ध्यान में रखते हुए समूह ने भविष्य में इस प्रकार की समस्या से निपटने के लिये मुख्य रूप से आयात के जरिये दालों का बफर स्टॉक बनाने का फैसला किया है।’
पिछले साल मॉनसून के कमजोर रहने और बेमौसम बारिश से फसल वर्ष 2014-15 में घरेलू उत्पादन करीब 20 लाख टन घटकर 1.72 करोड़ टन रहा। इसके कारण पिछले कुछ महीनों में दाल की कीमतों में काफी उछाल आया है।
दाल पर हुई बैठक में वाणिज्य मंत्री निर्मला सीतारमण, संसदीय कर्य मंत्री वेंकैया नायडू, परिवहन मंत्री नितिन गडकरी, प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रधान सचिव नृपेन्द्र मिश्र और वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों ने हिस्सा लिया।
जेटली ने संवाददाताओं से कहा कि सरकार का प्रयास यह सुनिश्चित करना है कि लोगों को दाल अंतरराष्ट्रीय मूल्य से कम दाम पर मिले। उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय के पास उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार तुअर दाल का खुदरा मूल्य 180 रुपये किलो तक पहुंच गया है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 85 रुपये किलो थी।
इसी प्रकार, उड़द दाल की कीमत बढ़कर 187 रुपये किलो तक पहुंच गई है, जो पिछले साल इसी समय 99 रुपये किलो थी। दाम में ज्यादा बढ़ोतरी इन्हीं दोनों दालों में देखी गई।
मूंग दाल और चने के दाम के दाम में वृद्धि हल्की रही है। आयात के अलावा सरकार ने कीमत को काबू में करने के लिये कई कदम उठाये हैं। उसने एक सीमा से अधिक दालों के भंडार रखने पर प्रतिबंध लगा दिया है और जमाखोरी और कालाबाजारी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की है।