कॉम्पिटीशन कमीशन ऑफ इंडिया (CCI) ने देश की प्रमुख 5 टायर कंपनियों पर कुल 1,788.06 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। CCI ने बाताया कि, ये जुर्माना कंपनियों पर गुटबंदी में लिप्त होने की वजह से लगाया है। CCI के अनुसार देश की 5 प्रमुख कंपनियों ने ज्यादा कीमत में टायर बेचने के लिए सांठगांठ की थी। जिसके चलते इन सभी कंपनियों के ऊपर 1,788.06 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है।

इन कंपनियों पर लगा जुर्माना- CCI ने अपोलो टायर्स पर 425.53 करोड़ रुपये, MRF लिमिटेड पर 622.09 करोड़ रुपये, CEAT लिमिटेड पर 252.16 करोड़ रुपये, JK टायर पर 309.95 करोड़ रुपये और बिड़ला टायर्स पर 178.33 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया है। CCI के अनुसार इन सभी कंपनियों ने टायर एसोसिएशन, ऑटोमोटिव टायर मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के जरिए आपस में कीमतों से जुड़े संवेदनशील आंकडे साझा किए और उसके आधार पर टायर की कीमतों को सामूहिक रूप से तय किया।

किस कानून के तरह लगा जुर्माना – CCI ने बताया कि, पांचों टायर कंपनियों और ATMA को कॉम्पिटीशन एक्ट की धारा 3 के प्रावधानों के उल्लंधन का दोषी ठहराया गया है। ये सभी धारा कंपनियों के बीच गुटबंदी के जरिए कॉम्पिटीशन को खत्म करने वाले समझौतों से जुड़ी है। जिनके आधार पर पांचों टायर कंपनी पर जुर्माना लगाया गया है। वहीं ATAM पर भी मामूली जुर्माना लगाया गया है।

ATMA पर लगा इस वजह से जुर्माना – CCI के अनुसार आयोग ने जांच में पाया कि, ATAM ने टायर उत्पादन, घरेलू बिक्री और एक्सपोर्ट से जुडे आंकड़ों को कंपनी और सेगमेंट के आधार पर जुटाकर इन कंपनियों के साथ शेयर किया। वहीं CCI ने ATAM को आदेश दिया है कि, टायर कंपनियों के बिक्री के आंकड़ों को खुद को दूर करें।

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सुप्रीम कोर्ट में याचिका खारिज होने के बाद लगा जुर्माना- आपको बता दें CCI ने इन पांचों टायर कंपनी और ATAM पर अगस्त 2018 में जुर्माना लगाया था। जिसके खिलाफ टायर कंपनियां सुप्रीम कोर्ट पहुंची और तबसे ये फैसला सीलबंद करके रखा गया था। वहीं सुप्रीम कोर्ट ने 28 जनवरी 2022 को टायर कंपनियों की याचिका को खारिज कर दिया। जिसके बाद अब CCI ने यह आदेश जारी किया है।